नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग ने भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की मौसम एजेंसियों के अनुमान को पुख्ता करते हुए कहा कि इस साल अल नीनो की संभावना 50 फीसदी है। जिसके कारण जून से शुरु हो रहे मानसून सीजन में बारिश प्रभावित हो सकती है।
मौसम विभाग में लंबी अवधि के लिए पूर्वानुमान करने वाली टीम के प्रमुख डी शिवानंद पई ने कहा कि प्रशांत महासागर गर्म हो रहा है। हमारे मॉडल इस बात का संकेत दे रहे है कि 2015 के मध्य में 50 फीसदी कमजोर अल नीनो की संभावना बन रही है। हालांकि सभी अल नीनो मानसून के लिए बुरा साबित हो यह जरुरी नहीं है। अगर समुद्र में गर्मी के संकेत मिलते है तो मानसून प्रभावित होने का खतरा बढ़ सकता है। पूर्वानुमान सोमवार को आईएमडी की वेबसाइट पर जारी होने की संभावना है।
कमजोर मानसून के संकेत ऐसे समय पर मिल रहे हैं जब मार्च में हुई बेमौसम बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। मार्च के दौरान बेमौसम बारिश से 105 लाख हेक्टेयर में लगी रबी की फसल बर्बाद हो गई है। इसमें पिछले हफ्ते हुई बारिश से नुकसान का आंकलन शामिल नहीं है।
अल नीनो के कारण पिछले मानसून के फर्स्ट हाफ में बारिश में भारी कमी देखने को मिली थी। हालांकि, अगस्त में हुई जोरदार बारिश ने उसकी कुछ हद तक भरपाई की थी। लेकिन मानसून सीजन 11 फीसदी कम बारिश के साथ खत्म हुआ जिसकी वजह से खरीफ फसलों के उत्पादन में गिरावट देखने को मिली।
अमेरिका के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (सीपीसी) और ऑस्ट्रेलियाई के मौसम विज्ञान ब्यूरो ने इस गर्मी में अल नीनो की भविष्यवाणी की है। सीपीसी इस साल 50-60 फीसदी अल नीनो की संभावना जताई है। एजेंसी ने पहले ही घोषणा कर चुकी है कि प्रशांत महासागर में कमजोर अल नीनो की स्थिति पनप रही है। ऑस्ट्रेलियाई एजेंसी ने मार्च में कहा था कि सभी अंतरराष्ट्रीय जलवायु मॉडल भविष्यवाणी कर रहे है कि अल नीनो साल के मध्य में पहुंच सकता है।