नई दिल्ली। बेमौसम बारिश ने इस साल भारत में गेहूं के आयात की नौबत ला दी है। हाल में भारतीय व्यापारियों ने ऑस्ट्रेलिया से 80 हजार टन गेहूं आयात के सौदे किए हैं। पिछले पांच साल में यह गेहूं का सबसे बड़ा आयात होगा। मार्च में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार से भारत के कई राज्यों में गेहूं की फसल तबाह हुई है, जिसे देखते हुए ट्रेडर्स गेहूं के आयात में जुट गए हैं। पिछले कई साल से देश में गेहूं की बंपर पैदावार के चलते भारत दुनिया के अग्रणी खाद्यान्न निर्यातकों में शामिल हो गया था। लेकिन वैश्विक बाजार में कीमतों में गिरावट के चलते भारत में गेहूं का आयात आर्थिक रूप से व्यवहारिक हो गया है।
इससे पहले वर्ष 2010 में भारतीय इंपोर्टर्स ने करीब दो लाख टन गेहूं का आयात किया था। इस साल ट्रेडर्स अंतरराष्ट्रीय बाजार में माल ढुलाई की घटी दरों का फायदा उठाने के लिए भी घरेलू गेहूं के मुकाबले गेहूं आयात को तवज्जो दे रहे हैं। एक मार्च को सेंट्रल पूल में 195.2 लाख टन गेहूं का भंडार था जो बफर स्टॉक की सीमा से कई गुना ज्यादा है। लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में हाल की बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की खड़ी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। बारिश और बूंदाबांदी का सिलसिला अभी थमा नहीं है, इसलिए इस साल गेहूं उत्पादन और उसकी गुणवत्ता को बड़ा झटका लग सकता है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2014-15 के दौरान देश में 95.76 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था, जो तकरीबन पिछले साल के बराबर है। लेकिन पिछले दिनों जिस तरह गेहूं की खड़ी फसल पर मौसम की मार पड़ी, उत्पादन को झटका लगना तय है। इस साल देश में गेहूं का क्षेत्र करीब 306 लाख हेक्टेअर है, जिसमें से करीब एक चौथाई क्षेत्र में फसल को पूर्ण या आंशिक तौर पर नुकसान पहुंच सकता है।
दक्षिण में घरेलू गेहूं के मुकाबले आयात सस्ता
भारतीय ट्रेडर्स की ओर से ऑस्ट्रेलिया से करीब 70-80 हजार टन गेहूं खरीद के सौदे होने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम चढ़ने की उम्मीद की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार, ये सौदे ढुलाई खर्च समेत 260-265 डॉलर प्रति टन के भाव पर हुए हैं। इसमें से ज्यादार गेहूं दक्षिण की आटा मिलों के लिए मंगाया जा रहा है।
चालू सीजन के लिए गेेेहूं का एमएसपी 1500 रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं इस पर लगने वाले कर और दूसरे शुल्क कीमत को चार फीसदी से लेकर 11 फीसदी तक बढ़ा देते हैं। पूरे गेहूं उत्पादन क्षेत्र में बेमौसम की बारिश ने गुणवत्ता पर भी असर डाला है। इन कारणों के चलते ही दक्षिण के कारोबारियों से लिए गेहूं का आयात फायदे का सौदा है।
गेहूं की खराब क्वालिटी बनी समस्या
यूपी फ्लोर मिल्स एसोसिएशन से ज्वाइंट सेक्रेटरी राजू खंडेलवाल का कहना है कि देश में गेहूं की उपलब्धता का संकट नहीं है लेकिन गुणवत्ता का मुद्दा इसमें अहम है। बारिश से गेहूं की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ेगा। जिसकी वजह से अच्छी क्वालिटी केगेहूं का आयात करना पड़ सकता है। इंटरनेशनल ट्रेडिंग एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गेहूं की फसल मौसम की मार को देखते हुए ट्रेडर्स विदेशी गेहूं का रुख कर रहे हैं।
खुले बाजार में गेहूं बेचेगी एफसीआई
भारतीय खाद्य निगम वर्ष 2015-16 के दौरान खुले बाजार में थोक उपभोक्ताओं के लिए गेहूं की बिक्री करेगा। यह बिक्री खासतौर पर गेहूं की सरकारी खरीद न करने वाले राज्यों में की जाएगी। पिछले दो साल से एफसीआई खरीद सीजन के बाद खुले बाजार में गेहूं की बेच रही है। पिछले साल इस तरह करीब 45 लाख टन गेहूं सरकार ने बेचा था। इस साल खुले बाजार में बिक्री के लिए गेहूं का भाव 1550 रुपये प्रति कुंतल के आसपास रहने की उम्मीद की जा रही है।