नया रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा आपसी सहमति अथवा नए भू-अर्जन कानून के तहत किसानों की जमीन की खरीदी या अधिग्रहण किया जाएगा। नया रायपुर क्षेत्र में अधोसंरचना विकास के कई काम चल रहे हैं, जिसके लिए अतिरिक्त जमीन की जरूरत पड़ रही है।
राज्य सरकार ने नया रायपुर परियोजना क्षेत्र में शामिल 24 राजस्व गांवों को हाल ही में नगरीय क्षेत्र के रूप में घोषित किया है। इसके पहले 17 गांवों को नगरीय क्षेत्र घोषित किया गया था। नई राजधानी के विकास के लिए नया रायुपर के सभी 41 गांवों को नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के तहत विशेष क्षेत्र के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
नया रायपुर विकास योजना-2031 के अनुसार नया रायपुर को तीन प्लानिंग लेयर में बांटा गया है। प्लानिंग लेयर-1 के अंतर्गत 17 गांवों में नया रायपुर शहर का विकास लगभग 80.13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में किया जा रहा है। प्लालिंग लेयर-2 के अंतर्गत 24 गांव (130.28 वर्ग किमी) पेरीफेरियल क्षेत्र है, जो नियंत्रित विकास के लिए चिन्हित हैं। प्लानिंग लेयर-3 एयरपोर्ट जोन है।
बताया गया है कि नया रायपुर में पहले से जो 17 गांव शामिल हैं, वहां भी कई किसानों की जमीन को विवाद के चलते एनआरडीए द्वारा अभी तक नहीं खरीदा जा सका है। कुछ प्रकरण न्यायालय में भी विचाराधीन हैं। हाल ही में नगरीय क्षेत्र घोषित किए गए 24 गांवों में भी जमीन खरीदी व अधिग्रहण को लेकर कई तरह की चर्चा प्रभावित गांवों में शुरू हो गई है। उचित मुआवजे की मांग को लेकर कुछ गांवों के किसान आंदोलन की तैयारी भी कर रहे हैं।
नए कानून के तहत मिलेगा मुआवजाः
एनआरडीए के अधिकारियों का कहना है कि नया रायपुर में शामिल सभी गांवों के किसानों की जमीन आपसी सहमति या भूअर्जन के माध्यम से ली जाएगी। भले ही पुराने अधिनियम के तहत किसानों की जमीन आपसी सहमति या भू-अर्जन से ली जा रही है, लेकिन प्रभावित किसानों को उनकी निजी जमीन का मुआवजा नए भू-अर्जन कानून (भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकरण और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013) के तहत ही दिया जाएगा।
नए कानून के तहत चार गुना तक मुआवजा देने का प्रावधान है। लेकिन राज्य सरकार ने दोगुना मुआवजा देने का निर्णय लिया है। यानी नया रायपुर के किसानों को भी दोगुना मुआवजा मिलेगा।
इन गांवों की जमीन की होगी खरीदीः
जिन गांवों के किसानों की निजी जमीन की खरीदी व अधिग्रहण किया जा रहा है, उनमें छतौना, नवागांव (खु), सेंध, रीको, चीचा, कयाबांधा, कोटराभाठा, झांझ, तूता,उपरवारा, खपरी, नवागांव (ख), खंडवा, राखी, परसदा, पलौद, बरौदा, कोटनी, तांदुल, कुहेरा, तेंदुआ,पौता, चेरिया, बंजारी, मुड़पार, पचेड़ा, कुर्रू, रमचंडी, सेरीखेड़ी, मंदिरहसौद, उमरिया, नकटी, धरमपुरा, टेमरी, बनरसी, माना, निमोरा, बेन्द्री, परसट्टी, केंद्री, झांकी शामिल हैं।
एनआरडीए दायर करेगा केवियटः
प्राधिकरण को ऐसी आशंका है कि किसानों की जमीन की खरीदी व अधिग्रहणके खिलाफ कुछ व्यक्ति अथवा उनकी समिति हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर कर सकते हैं। किसानों की जमीन की खरीदी या अधिग्रहण के दौरान कोई विवाद या व्यवधान की स्थिति निर्मित न हो इसे देखते हुए नया रायपुर विकास प्राधिकरण की ओर से हाईकोर्ट में केवियट दायर किया जा रहा है।
नया रायपुर विकास प्राधिकरण इसमें पक्षकार है। इस संबंध में आम सूचना का प्रकाशन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि जो कोई एनआरडीए के विरुद्ध याचिका दायर करेगा, उसके पहले एनआरडीए के अधिवक्ता या एनआरडीए सीईओ के कार्यालय के पते पर रिट याचिका की प्रति देना अनिवार्य होगा।
इनका कहना है
‘नया रायपुर के गांवों में स्थित किसानों की निजी भूमि को एनआरडीए द्वारा आपसी सहमति अथवा भू-अर्जन कानून के तहत क्रय या अधिगृहीत किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए, इसके लिए हाईकोर्ट में केवियट दायर किया जा रहा है।’
– एमडी कावरे, महाप्रबंधक, नया रायपुर विकास प्राधिकरण