इंदौर के वैज्ञानिकों ने बनाया सीधे खाया जा सकने वाला सोयाबीन

लोकेश सोलंकी, इंदौर। कम लोग जानते हैं कि प्रोटीन से भरपूर सोयाबीन सीधे नहीं खाया जा सकता। उसके बीजों में ट्रिप्सीन इनहेबीटर (केटीआई) नामक तत्व होता है, जिससे प्रोटीन पचाने की क्षमता ब्लॉक होती है और पाचन की परेशानियां बढ़ती हैं। शहर के वैज्ञानिकों को सोयाबीन से इस हानिकारक तत्व को निकालने में सफलता मिली है। ट्रिप्सीन फ्री सोया की यह किस्म बाजार में भी उतार दी गई है।

करीब दस साल की मेहनत के बाद शहर के सोयाबीन रिसर्च इंस्टिट्यूट में सोया की दो नई किस्में तैयार की गई हैं। एनआरसी-101 और एनआरसी-102 नामक इस सोयाबीन केटीआई से मुक्त है। इसे बाजार ने भी हाथोहाथ लिया है। ट्रिप्सीन फ्री सोयाबीन बीज के लाइसेंस सबसे पहले खाद्य उत्पाद बनाने वाली देश की बड़ी कंपनी आईटीसी ने खरीद लिए हैं। सोयाबीन की इस किस्म से अब प्रोटीन रिच मल्टीग्रेन आटे से लेकर तमाम खाद्य उत्पाद नजर आएंगे।

उबालो फिर सुखाओ

लोगों को को खाने में सोया शामिल करने की सलाह दी जाती है, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन को सीधे खाना ठीक नहीं। सीधे खाने पर ट्रिप्सीन शरीर में प्रोटीन पचाने की क्षमता खत्म कर देते हैं। ट्रिप्सीन से मुक्त करने के लिए सोयाबीन को 15 से 20 मिनट समान रूप से गर्म किया जाना चाहिए। ऐसे में सोया को खाने से पहले उबालना जरूरी होता था। यानी सोयाबीन को गेंहू के साथ पिसवाना हो तो पहले उबालो, सुखाओ और फिर पिसवाओ।

अब गंध दूर करने की कोशिश

सोयाबीन को ट्रिप्सीन मुक्त करने के बाद इसमें से आने वाली अजीब सी गंध को दूर करने की कोशिश शुरू हो गई है। सोयाबीन रिसर्च इंस्टिट्यूट के निदेशक के अनुसार लायपोऑक्सिजनेस नामक एंजाइम यह गंध देता है। इसे आधा तोड़ लिया है। जल्द ही गंध रहित सोया बना लेंगे। इसके बाद लोग सोया को चने की तरह खाना पसंद करेंगे। तोफू (सोया पनीर) जैसे उत्पाद भी गंध रहित होंगे।

बाजार में उतार दी

ट्रिप्सीन मुक्त सोयाबीन को उबालने की जरूरत नहीं होगी। लंबी रिसर्च के बाद दो किस्मे तैयार हुई हैं। उच्च प्रोटीन वाला खाद्यान्न् लोगों को मिल सकेगा। यह बीज बाजार में उतारते से आईटीसी से प्रतिसाद मिला और इसके लाइसेंस उसने खरीद लिए। -डॉ.वीएस भाटिया, निदेशक, सोयाबीन रिसर्च इंस्टिट्यूट

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