नई दिल्ली। मार्च की बेमौसम बरसात और ओलों ने देश के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्र में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में 50 लाख हेक्टेयर भूमि में खड़ी फसल बर्बाद हुई है। करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान निदेशालय के मुताबिक देश भर में गेहूं की करीब 20 प्रतिशत फसल को नुकसान हुआ है। फसलों की बर्बादी के आंकलन के लिए राज्यों ने सर्वे शुरू कर दिया है। राज्यों से नुकसान के प्राथमिक आंकड़े भी आने लगे हैं। जो बारिश के चलते भारी नुकसान की ओर इशारा कर रहे हैं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार राज्यों में सर्वाधिक असर गेहूं, चना, सरसों और आलू की फसल को पहुंचा है। नुकसान को देखते हुए उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने राहत पैकेज की घोषणा कर दी है। वहीं पंजाब ने किसानों को मदद पहुंचाने के लिए केंद्र से मदद की गुहार लगाई है।
गेहूं, सरसों से लेकर आलू और आम को सर्वाधिक नुकसान
राष्ट्रीय स्तर पर नुकसान क्षेत्रवार फसलों के आधार पर होगा। अभी सिर्फ प्रारंभिक आंकड़े आए हैं। उत्तर भारत की बात की जाए तो यहां बारिश से आलू, सरसों और गेहूं की फसल सर्वाधिक प्रभावित हुई है। पंजाब में आलू का उत्पादन भी 50% प्रभावित होने की खबरें हैं। वहीं हरियाणा में गेहूं की25%, सरसों की 20% और जौ को बड़ा नुकसान पहुंचेगा। महाराष्ट्र में मराठवाड़ा, खानदेश और विदर्भ में गेहूं, प्याज और आम को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा गुजरात के सौराष्ट्र में कैरी एवं उत्तर गुजरात में जीरे की फसल खराब। इसके अलावा आलू, प्याज, सौंफ, धनिया और इसबगोल की फसलें भी बर्बाद। 20 करोड़ रु. का नुकसान। महाराष्ट्र में पिछले 15 दिनों में हुई बारिश से गेहूं, चना, सरसों, जौ की फसलें खराब हो गई हैं।
राज्यों ने शुरू किया सर्वे, रिपोर्ट अगले सप्ताह तक
बारिश और ओला प्रभावित किसानों के मुआवजे के लिए राज्यों की ओर से बर्बाद फसलों के सर्वे की कवायद शुरू कर दी गई है। उत्तर प्रदेश के 25 बारिश प्रभावित जिलों में सर्वे शुरू कर दिया गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने गन्ने पर बारिश के प्रभाव का वैज्ञानिक आंकलन करने का आदेश दिया है। राज्य में सर्वे की कार्रवाई पर मुख्यमंत्री स्वयं निगाह रखे हैं। राजस्थान में सभी जिलों में वर्षा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे जारी है। इसकी रिपोर्ट 25 मार्च तक आएगी। महाराष्ट्र सरकार ने विदर्भ, मराठवाड़ा, खानदेश और पश्चिम महाराष्ट्र में बारिश से हुए नुकसान के लिए एक कमेटी गठित की है। हालांकि राज्य में जारी बारिश को देखते हुए रिपोर्ट आने में अभी समय लग सकता है।
किसानों के लिए राज्यों ने खोली तिजोरी
बड़े पैमाने में हुई बर्बादी को देखते हुए राज्य की सरकारों ने भी किसानों के लिए तिजोरी खोल दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों के राहत के लिए आकस्मिकता निधि से 200 करोड़ रुपए की धनराशि जारी करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि किसी भी किसान से राजस्व की वसूलीनहीं की जाएगा। मुख्यमंत्री ने किसानों से लोन की वसूली पर रोक लगा दी है। साथ ही फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए कृषि विभाग को वैकल्पिक फसल के लिए मुफ्त बीज मुहैया करनो का आदेश दिया है। राजस्थान सरकार ने भी किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा कर दी है। सरकार ने 50 फीसदी से अधिक फसल बर्बाद होने पर किसाोनों के 4 महीने तक बिजली बिल माफ कर दिए हैं।
केंद्र से मांगी मदद
राज्य इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केंद्र से भी मदद की गुहार लगा रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कम से कम सात लाख हेक्टेयर में फसल बर्बाद होने के चलते क्षतिपूर्ति के रूप में सात सौ करोड़ रुपये की मांग की है। राजस्थान सरकार ने भी कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से मिलकर राज्य को आर्थिक मदद देने की अपील की है।