उद्योग, खान और ऊर्जा विभाग की मांग पर अपना विचार व्यक्त करते हुए बलवंत सिंह ने कहा कि 2003 से 2015 तक राज्य में सात वायब्रन्ट समिट द्वारा 30 हजार 434 प्रोजेक्ट और 89 लाख करोड़ रुपए से अधिक का एमओयू होने की घोषणा की गई। मगर, केवल नौ प्रतिशत ही अमल हुआ।
देश में कुल पूंजीनिवेश में गुजरात पांचवे स्थान पर है। महाराष्ट्र में 19 प्रतिशत, तमिलनाडु में सात प्रतिशत, कर्नाटक में छह प्रतिशत और गुजरात में केवल चार प्रतिशत पूंजीनिवेश हुआ है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट में पूंजीनिवेश में गुजरात 2010 में छठे, 2011 में दूसरे, 2013 में दूसरे, 2014 में तृतीय और 2015 में चतुर्थ स्थान पर है।
गुजरात की तुलना में उड़ीसा, छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बिना बायब्रंट के ही पूंजीनिवेश अधिक हुआ है। वायब्रंट समिट 2003 से 2005 के 41 प्रतिशत प्रोजेक्ट पर अमल हुआ है। इसी प्रकार 2007 में 39 प्रतिशत, 2009 में 35 प्रतिशत, 2011 में 47 प्रतिशत, 2013 में 40 प्रतिशत अमल हुआ है। इस प्रकार औसतन 50 प्रतिशत पर अमल नहीं हुआ।
राजपूत ने बताया कि गुजरात में घरेलू उत्पादन में 2002-03 में औधोगिक सेक्टर हिस्सा 39.17 प्रतिशत था। वायब्रंट समिट आयोजित होने के बाद औधोगिक विकासदर बढ़नी चाहिए, लेकिन 2005 -06 में 14.64 प्रतिशत था जो घटकर 2013 में 3.69 प्रतिशत हो गया। इसके कारण गुजरात इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्डेक्स में सांतवें स्थान पर है।
गत दो वर्ष में औधोगिक और खनिज सेक्टर के पूंजी खर्च में 926 करोड़ रुपए की कमी आई है। इसी प्रकार औधोगिक पार्क योजना में 450 करोड़ रुपए की कमी आई। ग्राम उद्योग विकास योजना में 27 करोड़ रुपए और नमक उद्योग में 11 करोड़ रुपए की कमी हुई है। कावेरी-गोदावरी बेजिन में 2800 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी उत्पादन नहीं शुरु हुआ।