कभी शॉपिंग और ब्यूटी पॉर्लर में अपनी कमाई का मोटा हिस्सा खर्च करने वाली कामकाजी महिलाएं अब अपनी सैलरी का 80 फीसदी हिस्सा बच्चों की फीस और अन्य जरूरी मदों में खर्च कर रही हैं। इसका खुलासा पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा पहली बार दिल्ली की कामकाजी महिलाओं पर किए गए एक सर्वे में हुआ है।
सर्वे में ऐसी महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता व उनके खर्च समेत इलाज और ऑफिस में मिलने वाले अवकाश का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है।
अध्ययन में नौकरी और घर के काम करने के घंटे के बीच महिलाओं द्वारा मनोरंजन के लिए निकाले जाने वाले समय का भी आकलन किया गया। देखा गया कि 61 प्रतिशत महिलाएं आठ से दस घंटे नियमित काम कर रही हैं। जबकि ऑफिस और घर गृहस्थी के काम के बीच वह केवल दो घंटे का समय ही खुद के लिए निकाल पाती हैं। जबकि पुरुष ऑफिस के बाद भी तीन से चार घंटे का समय खुद के लिए निकाल लेते हैं।
अध्ययन में 18 से 40 साल की शिक्षित, कामकाजी, विवाहित व अविवाहित महिलाओं को शामिल किया गया। अंतरराष्ट्रीय संगठन ओईसीडी (ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेटिव एंड डेवलपमेंट) 2015 की ताजा रिपोर्ट से भारतीय कामकाजी महिलाओं के वेतन का भी तुलनात्मक अध्ययन किया गया।