बीते साल महेंद्रगढ़ के 60 गांवों में नहीं जन्मी बेटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 22 जनवरी को शुरू की जाने वाली ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना को लेकर देश भर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल कस्बे में बेटियों के जन्म पर बड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। यहां पिछले एक वर्ष में 60 गांवों में एक भी बेटी पैदा नहीं हुई है।

वहीं 67 गांव ऐसे हैं, जिनमें कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ। यह खुलासा आसपास की 15 सीएचसी और पीएचसी की ओर से स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से हुआ है। स्वास्थ्य विभाग इसे कन्या भ्रूण हत्या के मामलों से जोड़कर देख रहा है।

स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष-2014 की लिंगानुपात की पहली रिपोर्ट में छह गांवों में लड़कियों ने जन्म ही नहीं लेने की बात का खुलासा किया था। रिपोर्ट के बाद अमर उजाला ने 4 सीएचसी और 11 पीएचसी की वार्षिक सरकारी रिपोर्ट को खंगाला तो हैरान करने वाली सच्चाई समाने आई। इन 15 सीएचसी-पीएचसी में 311 गांव और ढाणियां आते हैं।

वर्ष 2014 में इन गांवों में से 60 गांव और ढाणियों में किसी लड़की ने जन्म नहीं लिया, वहीं 67 गांवों ऐसे भी हैं जहां कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ। अभी करीब 15 पीएचसी-सीएचसी की रिपोर्ट आनी बाकी है। इस संबंध में सीएमओ विजय गर्ग का कहना है कि बीते वर्ष में लिंगानुपात का पता लगाने के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों की रिपोर्ट नहीं मिली है।

जिले में लिंगानुपात बिगड़ने के पीछे मुख्य कारण महेंद्रगढ़ जिले का तीन ओर से राजस्थान सीमा से सटा होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आज भी बेटियों को बोझ ही मान रहे हैं। यही कारण है कि लोग पड़ोसी राज्य से जुड़े जिले में जांचकर भ्रूण की जांच करवाते हैं और कन्या होने पर उसका निस्तारण करवा देते हैं।

इसी कारण जिले में लिंगानुपात में भारी अंतर आता जा रहा है, वर्ष-2014 में जिले में 1000 लड़कों पर मात्र 738 लड़कियां हैं। लड़कियों के मामले में यह जिला प्रदेश में सबसे पिछड़ा है। वहीं डीसी अतुल कुमार कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बैठक कर रणनीति बनाई जाएगी।

(साभार-अमर उजाला)

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