देश में चीनी की कीमतें करीब चार साल के निचले स्तर पर हैं। पश्चिम बाजार (महाराष्ट्र) में चीनी S 30 क्वालिटी के भाव 2350 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गए हैं, जो पिछले कई वर्षों का निचला स्तर है। चीनी की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण मिलों पर गन्ना किसानों के भुगतान का दबाव है। साथ ही इस साल भी चीनी का उत्पादन मांग से ज्यादा होने की संभावना है जिसके चलते कीमतों पर दबाव देखने को मिल रहा है। इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार अगर जल्द एक्सपोर्ट सब्सिडी पर फैसला नहीं लेती तो कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
मिलों को हो रहा है 700 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री लिमिटेड के एमडी एम जी जोशी के मुताबिक अभी शुगर मिल्स को 6 से 7 रुपए प्रति किलो का नुकसान हो रहा है। मिल्स की लागत 3200 रुपए प्रति क्विंटल की है। जबकि महाराष्ट्र में भाव 2350 रुपए प्रति क्विंटल का है। मिल्स गन्ने के निकलने वाले अन्य उत्पाद की बिक्री से कुछ रिकवरी कर लेती हैं जिसके चलते अभी मिलों को करीब 700 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। जोशी का यह भी कहना है कि चीनी के एक्सपोर्ट से भी फिलहाल मिलों को कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लगभग इसी भाव पर चीनी बिक रही है।
ISMA के DG अबिनाश वर्मा का मानना है कि अभी इंडस्ट्री पर किसानों का 11000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। ऐसे में अगर सरकार जल्द इंडस्ट्री को राहत देने के लिए एक्सपोर्ट पर सब्सिडी नहीं देती तो कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
महाराष्ट्र में स्थित सहयाद्री सहकारी चीनी मिल्स के अध्यक्ष बालासाहेब पाटिल के मुताबिक चीनी निर्यात होने से देश में चीनी का स्टॉक घटेगा जिससे कीमतों को सहारा मिलेगा, लेकिन सरकार सब्सिडी की घोषणा में देरी कर रही है। पिछले साल रॉ शुगर पर 3300 रुपए प्रति टन की सब्सिडी मिली थी जिसके कारण भारी मात्रा में निर्यात हुआ था। पिछले महीने इसको बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति टन करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में मिल्स को किसी भी भाव पर चीनी बेचनी पड़ रही है।
शुगर मिल्स को एक्सपोर्ट पर सब्सिडी का इंतजार
जोशी का मानना है कि सरकार को जल्द से जल्द रॉ शुगर एक्सपोर्ट सब्सिडी पर फैसला लेना चाहिए। इससे मिलों को कुछ राहत मिलती दिखेगी। साथ ही सरकार को देश में बफर स्टॉक बनाना चाहिए। उनके मुताबिक इस महीने के अंत से मिल्स बंद होनी शुरु होने लगेगी। इसलिए उद्योग की बेहतरी के लिए जल्द से जल्द फैसला लेना जरुरी है। फिलहाल पूरे देश में 500 शुगर मिल्स चल रही हैं जबकि महाराष्ट्र में इनकी संख्या 171 मिल्स की है। इनमें 99 शुगर मिल्स कोऑपरेटिव हैं।
नार्थ के मार्केट में भी गिरे चीनी के भाव
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर हाजिर बाजार में चीनी M क्वालिटी के भाव 2650 के स्तर पर हैं। वहीं पिछले साल इससमय यह भाव 2840 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर था। मुजफ्फरनगर के चीनी कारोबारी विवेक कपूर का मानना है कि बाजार में चीनी की मांग कमजोर है। लेकिन उसके बाद भी किसानों के भुगतान के लिए मिलें खुले बाजार में चीनी बेच रही हैं जिसके चलते कीमतों पर दबाव देखने को मिल रहा है।
एक्सपोर्ट पर फैसला विचाराधीन
खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने बुधवार को कहा कि रॉ शुगर निर्यात पर सब्सिडी का मामला विचाराधीन है। वहीं 2014-15 में 2.5 करोड़ टन चीनी उत्पादन की संभावना जताई है। जबकि इस दौरान देश में चीनी की खपत 2.48 करोड़ टन रह सकती है। साथ ही इस साल निर्यात होने वाली चीनी में 14 लाख टन सरपल्स रहने की आशंका है और शुरूआती स्टॉक 72 लाख रह सकता है।