उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की जिन मनमानी की बात अबतक अफवाह थी, वह सच साबित हुई. उन्होंने कहा कि उद्योग को पर्यावरण मंजूरी देने के लिए एक कानूनी व्यवस्था है और मंजूरी दिये जाने में उसी का पालन होना चाहिए. उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार के फैसले इस बात से तय हों कि पार्टी का हित किस में हैं या फिर इससे तय हों कि कानून क्या कहता है? उन्होंने कहा कि सरकार के ऐसे फैसले जिसमें पर्यावरण मंत्री मूकदर्शक हों जायें उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तरह से प्रोजेक्ट रुकना देश की अर्थव्यवस्था के साथ खिलवाड़ है.
जेटली ने यूपीए की पिछली सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए इसे क्रोनी कैपिटलिज्म की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि यूपीए की पिछली सरकार ऐसी थी जिसे लोगों को कष्ट देकर आनंद आता था. उन्होंने कहा कि उस सरकार का शासन दल ऐसा कर रहा था. उन्होंने कहा कि अब पर्यावरण विभाग पर दायित्व है कि वह कानून का शासन कायम करे और शासक दल की मनमानी नहीं हो. उन्होंने जयंती के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि अभी उन्हें इस संबंध में कोई सूचना नहीं है.