दुर्गाप्रसाद ने बताया कि उसने कुछ साल पहले उद्यान विभाग से 18 लाख रुपए का अनुदान लेकर खेत में सैडनेट हाउस लगाया। अनुदान मिलने के बाद छह लाख रुपए खुद को खर्च करने पड़े। अक्टूबर 2014 में एक कंपनी प्रतिनिधि से मिली जानकारी के बाद 72 हजार रुपए में नीदरलैंड से बीज मंगवाया। एक बीज के छह रुपए लगते हैं।
30 हजार रुपए बुवाई अन्य खर्चा लग गया। चार महीने के दौरान वह आठ लाख रुपए के खीरे बेच चुका है। खर्चा निकालकर सात लाख रुपए की आय हुई है। उद्यान विभाग के सहायक निदेशक भगवान सहाय यादव के मुताबिक शेखावाटी में पहला किसान है, जिसने नीदरलैंड किस्म का खीरा उगाया है।
बीज रहित और गुणवत्ता अच्छी होने से बाजार में खीरा की मांग भी देशी से ज्यादा रही। कारोबारियों के अनुसार मंडी में पहली बार नीदरलैंड का बीज रहित खीरा आया है। ऐसे में मंडी में खीरा के भाव भी देशी से दोगुना ज्यादा रहे। स्थानीय खीरे के थोक भाव मंडी में किसान को 20 रुपए किलो मिल रहा है, वहीं नीदरलैंड का खीरा 40 से 45 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है।