नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की यात्रा को भारत के रिन्यूअबल एनर्जी सेक्टर के लिए भले ही एक अहम कारोबारी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन इसका सबसे अधिक लाभ अमेरिका की सोलर एनर्जी कंपनियों को मिलेगा। अमेरिकी ट्रेड एंड डेवलपमेंट एजेंसी भारत के रिन्यूअबल एनर्जी सेक्टर में दो अरब डॉलर के निवेश की घोषणा कर चुकी है। इससे जहां मोदी सरकार की चौबीसो घंटे बिजली आपूर्ति के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी, वहीं अमेरिकी सोलर कंपनियां अपने निर्यात भारत को कर सकेंगी, जिससे उनकी वित्तीय सेहत मजबूत होगी।
इस साल भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सोलर पावर मार्केट बन गया है। भारत में ब्याज दरें ज्यादा होने की वजह से सोलर एनर्जी से जुड़ी कंपनियों को फंड जुटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका से मिलने वाला सस्ता कर्ज इस क्षेत्र की कंपनियों को बूस्ट देगा।
सूत्रों के अनुसार, क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में यूएस फेडरल एजेंसी द्वारा निवेश की घोषणा का अधिकांश हिस्सा अमेरिका की सोलर कंपनियों को संस्थागत लोन के रूप में मिलेगा। इसका उद्देश्य तेजी से बढ़ रहे भारत के रिन्यूअबल एनर्जी बाजार खासकर सोलर पावर, में अमेरिकी कंपनियों के निर्यात को बढ़ावा देना है। अमेरिकी एक्जिम बैंक ने भारतीय रिन्यूअबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) के बीच हुए एक अरब डॉलर के लोन समझौते का लाभ उन अमेरिकी सोलर सेल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को मिलेगा, जो भारत को निर्यात करेंगी। फिलहाल, अमेरिका की दो बड़ी कंपनियां सन एडिशन और फर्स्ट सोलर भारत के रिन्यूअबल सेक्टर में कारोबार कर रही हैं।
वैश्विक स्तर पर घटी है सोलर सेल की लागत
वैश्विक स्तर पर सोलर सेल की लागत विकसित देशों में ओवर कैपेसिटी और एशियाई देशों से मांग बढ़ने के कारण घटर रही है। अमेरिकी सोलर सोल की कीमत 2014 में घटकर 0.6 डॉलर प्रति वॉट पर आ गई है, जो इससे एक साल पहले 0.75 डॉलर प्रति वॉट थी। वहीं, चीन के मॉड्यूल की कीमतें इस दौरान तेजी से घटकर 0.5 डॉलर प्रति वॉट पर आ गई हैं।
भारतीय सोलर प्रोजेक्ट में अभी चीनी उपकरणों का दबदबा
इंडस्ट्री रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सोलर प्रोजेक्ट में अभी चीनी उपकरणों दबदबा है। देश में अभी सोलर उत्पादन क्षमता करीब 30,000 मेगावाट है। इसके लिए करीब 50 फीसदी सोलर सेल का आयात चीन से, 10 फीसदी अमेरिका से और शेष 40 फीसदी घरेलू कंपनियां उपलब्ध कराती हैं। ऐसे में यूएस ट्रेड एंड डेवलपमेंट एजेंसी के दो अरब डॉलर के लोन की घोषणा का लाभ भारत के रिन्यूअबल एनर्जी सेक्टर में कारोबार करने वाली अमेरिकी कंपनियों को मिलेगा।
2022 तक 1 लाख मेगावाट सोलर पावर उत्पादन लक्ष्य
मोदी सरकार ने 2022 तक सोलर एनर्जी की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1,00,000 मेगावाट और विंड पावर की क्षमता 60,000 मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत में 200 अरब डॉलर की निवेश की जरूरत होगी और इसमें से आधा निवेश विदेशी कंपनियां करेंगी। अमेरिका के साथ हुए समझौते इस लक्ष्य को हासिल करने में मोदी सरकार अच्छी खासी मदद मिलेगी।
महिंद्रा समूह की 45 अरब रुपये निवेश की योजना
महिंद्रा समूहने अगले तीन से चार साल में 45 अरब रुपये (73.25 करोड़ डॉलर) के निवेश से अपने रिन्यूअबल एनर्जी करोबार का विस्तार करने की योजना बनाई है। महिंद्रा समूह के अनुसार, इस निवेश के लिए 33 अरब रुपये डेट के जरिए जुटाए जाएंगे, जबकि शेष राशि का नकद निवेश समूह करेगा।