झारखंड का विकास मंत्र- जॉब जकारिया(यूनिसेफ, झारखंड)

झारखंड दुनिया भर के सर्वाधिक खनिज संपन्न इलाकों में से एक है. इसके अलावा जल, जंगल और जमीन के रूप में भी प्राकृतिक संसाधन है. मगर ये संसाधन मात्र ही राज्य का सामाजिक, आर्थिक और मानवीय विकास नहीं कर सकते. मानव विकास का अध्ययन करनेवाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के आंकड़े बताते हैं विकास के लिए झारखंड को अभी भी बहुत काम करना है और त्वरित गति से करना है. किसी भी राज्य का वास्तविक विकास शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के मामले में वहां रह रहे लोगों की स्थिति पर निर्भर करता है.

झारखंड तभी तरक्की कर सकता है, जब स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, पेयजल और स्वच्छता से जुड़े पांच मुद्दे को प्राथमिकता की सूची में रखा जाय. इससे जुड़ी सभी समस्याओं का निराकरण किया जाय. (1)बच्चों में कुपोषण, लड़कियों और महिलाओं में एनीमिया को कम करना, (2)नवजातों और शिशुओं की मृत्यु-दर को कम करना,(3) खुले में शौच को बंद करना और सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करना, (4)स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति और पढ़ाई को सुनिश्चित करना और बाल विवाह, बाल श्रम और बाल तस्करी को खत्म करना.

कुपोषण से मुक्ति के लिए एक बहुमुखी योजना बनाने की जरूरत है. कुपोषण के कारण राज्य को सकल घरेलू उत्पाद के छ: फीसदी का अनुमान है. अगर हम अपने राज्य की बच्चियों और महिलाओं को एनीमिक होने से बचा लेते हैं तो राज्य की जीडीपी में दो फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है और महिलाओं की कार्य-क्षमता में 5-17 फीसदी की वृद्धि संभव हो सकती है. प्री स्कूल हमारे राज्य में कमजोर है, जबकि यह मानवीय विकास की बुनियाद होती है.

बेहतर शिक्षा, उच्च उत्पादकता, शिशु और मातृ-मृत्यु में कमी और बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य एवं पोषण के रूप में समाज और व्यक्ति को व्यापक आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान करता है. हमारा लक्ष्य झारखंड को स्वस्थ, स्वच्छ, शिक्षित, सुरक्षित और विकसित राज्य बनाना है.

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