इस फैसले पर एनपीसीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मनीभास्कर को बताया कि रूपे कार्ड की लगातार मांग बढ़ रही है। अभी तक जो भी कार्ड जारी किए गए हैं, उसके सर्टिफिकेशन का काम एक एजेंसी के पास था। लेकिन जिस तरह से मांग बढ़ी है, ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि सरकार अपनी निगरनी में एक स्वतंत्र टेस्ट लेबोरेटरी का गठन करें। इसी के मद्देनजर टेंडर जारी किए गए हैं। मांग बढ़ने से कार्ड मैन्युफैक्चरिंग के भी अवसर बढ़ेंगे।
मांग का रहेगा दबाव
पंजाब नेशनल बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एक प्लास्टिक कार्ड औसत रूप से 5-6 साल इस्तेमाल किया जाता है। अकेले जन-धन योजना में ही 10.71 करोड़ से ज्यादा रूपे कार्ड जारी किए जा चुके हैं। ऐसे में इनके मानकीकरण का काम किसी एक एजेंसी से संभव नहीं है। साथ ही आने वाले दिनों में कार्ड रिप्लेसमेंट के मामले बढ़ेंगे, जिसे देखते हुए एनपीसीआईएल ने एक अच्छा कदम उठाया है।
आईएसओ स्टैण्डर्ड होगा मानक
एनपीसीआईएल द्वारा जारी टेंडर में कहा गया है कि रूपे कार्ड के मानकीकरण में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जा रहे मानकों को अपनाया जाएगा। जिसमें आईएसओ स्टैण्डर्ड को लागू किया जाएगा। इसके तहत रूपे कार्ड की लंबाई, चौड़ाई, मोटाई उसके मुड़ने की सीमा, उस पर लगे कवर आदि सभी का एक तय स्टैण्डर्ड होगा।
पुराने कार्ड को लेकर नहीं कोई शंका
नए स्टैण्डर्ड बनाने पर जब मनीभास्कर ने एनपीसीआईएल के वरिष्ठ अधिकारी से यह सवाल पूछा कि क्या जो भी 10 करोड़ से ज्यादा रूपे कार्ड जारी हुए हैं, उनके मानकों में कोई कमी है। तो इस पर उनका कहना था कि पहले से जारी कार्ड भी पूरी तरह से सुरक्षित और अंतरराष्ट्रीय मानक के हैं। लेकिन अब सरकार द्वारा प्रमाणित टेस्ट लैब होगा। बढ़ते रूपे कार्ड की संख्या को देखते हुए यह कदम जरूरी था।