संविधान की प्रस्तावना से हटाए ‘सेकुलर, सोशलिस्ट’ शब्द!

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर प्रकाशित एक सरकारी विज्ञापन को लेकर विवाद छिड़ गया है। विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना दी गई है, लेकिन उसमें देश के नाम के साथ ‘सोशलिस्ट’ यानी समाजवादी और ‘सेकुलर’ यानी पंथनिरपेक्ष ये दो शब्द गायब हैं।

हालांकि, सूचना और प्रसारण राज्‍य मंत्री राजवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि विज्ञापन में प्रकाशित चित्र संविधान की प्रस्‍तावना के मूल संस्‍करण से लिया गया था। समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्‍द को 42वें संविधान संशोधन के तहत 1976 में प्रस्‍तावना में शामिल किया गया था।

वर्तमान में संविधान की प्रस्‍तावना यह है- "हम भारत के लोग भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्‍िचत करने वाली बंधुता बढाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"

हालांकि, विज्ञापन में प्रकाशित छवि में लिखा है- हम भारत के लोग भारत को सम्‍पूर्ण प्रभुत्‍व सम्‍पन्‍न लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य….। कांग्रेसी नेता और पूर्व सूचना मंत्री मनीष तिवारी ने इसकी आलोचना की है। तिवारी ने कहा कि लगता है कि सरकार इन शब्दों की जगह ‘कम्युनल’ और ‘कॉरपोरेट’ शब्द जोड़ना चाहती है।’

 

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