ग्राम में इस तरह के हाट का आयोजन लगभग 100 वर्षों से होता आ रहा है। इस हाट में सब्जी, फल, दाल, किराणा, सौंदर्य प्रसाधन, कपड़ा, खाद्य सामग्री आदि की 100 से अधिक दुकानें लगती है।
नहीं करते भाव-ताव
फल व्यवसायी पूनमचंद वर्मा ने बताया कि अन्य जगह हाट-बाजारों में सुबह से शाम तक जो व्यवसाय नहीं हो पाता है उससे अधिक व्यवसाय यहां तीन घंटे में हो जाता है। हाट बाजार का समय कम होने से व्यापारी उचित मूल्य पर सामान बेचते हैं और ग्राहक भी भाव-ताव में समय नहीं गंवाता। कल्लू वर्मा ने बताया कि सुबह का बाजार करने के बाद दोपहर में मंडलेश्वर में लगने वाले हाट बाजार में दुकान लगा लेते है।
इससे एक दिन में दोहरा मुनाफा हो जाता है। इधर ग्रामीण देवेंद्र कटारिया ने बताया कि इस प्रकार के बाजार से किसान, मजदूर व अन्य कामकाजी महिला-पुरुषों का काम प्रभावित नहीं होता। हाट के बाद सभी लोग अपने काम में जुट जाते हैं।
सरपंच मुकेश सोलंकी ने बताया कि वर्षों से रामलीला मैदान में हाट का आयोजन होता आ रहा है। सभी की सहमति से इसका समय कम रखा गया है। उन्होंने बताया कि जीती नदी में आई बाढ़ के कारण इस वर्ष एक बार हाट का स्थान बदलकर बस स्टैंड क्षेत्र में लगाना पड़ा था।