दरअसल हनुमान नामक यह युवक इसी गांव के एक किसान का बेटा है और उसने ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री तथा बैंकाक से टूरिज्म मैनेजमेंट का डिप्लोमा किया है। करीब चार-पांच साल ऑस्ट्रेलिया में बिताने के बाद हनुमान को लगा अपने गांव के लिए ही कुछ करना चाहिए तो वह नौकरी छोड़कर गांव आ गया और इस बार के सरपंच के चुनाव में खड़ा हो गया।
इस बाबत पूछे जाने पर हनुमान ने कहा कि युवाओं को राजनीति में जरूर आना चाहिए, जब तक अच्छे युवक राजनीति में नहीं आएंगे, तब तक राजनीति का भला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि उन्होने गांव के लिए बहुत कुछ सोच रखा है और इन पांच साल में वे कोशिश करेंगे कि गांव के लिए जितना बेहतर काम हो सकता है, वह किया जाए।
गांव वाले हनुमान को निर्विरोध चुनना चाहते थे, लेकिन अंतिम समय पर किसी ने नामांकन दे दिया, इसलिए चुनाव कराना पड़ा। हालांकि हनुमान ने लगभग एकतरफा जीत हासिल की।