महाराष्ट्र सरकार वापस लेगी 300 इंडस्ट्रियल प्लॉट
राज्य में खाली पड़े इंडस्ट्रियल प्लॉट के लिए महाराष्ट्र सरकार ने जब्ती की कार्रवाई शुरू कर दी है। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई के अनुसार राज्य में स्टार्ट अप्स को जमीन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार अब उद्योगों से जमीन वापस ले रही है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कॉरपोरेशन ने कोल्हापुर जिले की 300 इंडस्ट्री को नोटिस भेजा है। इन इंडस्ट्री को एमआईडीसी के इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट तो मिले, लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद इन उद्योगों ने इकाई स्थापित नहीं की। देसाई के अनुसार अभी तक 9 इंडस्ट्रियल प्लॉट जब्त कर लिए गए हैं। अगले महीने तक एमआईडीसी इन 300 के अलावा अन्य प्लॉट भी वापस लेगी। इन अनुपयोगी प्लॉट को नए आवेदकों को उपलब्ध कराया जाएगा।
उद्योग न शुरू करने पर सख्त एमपी और छत्तीसगढ़
छोटे उद्योगों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ जैसी राज्य सरकारें औद्योगिक क्षेत्रों का सर्वे भी करवा रही हैं। इसके तहत उन उद्योगों की जांच की जा रही है जिन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन तो ले रखी है। लेकिन लंबे समय से वहां पर औद्योगिक गतिविधि शुरू नहीं की है। ऐसे उद्योगों की जमीनें वापस ली जा सकती हैं। इसके साथ ही जरूरत से ज्यादा जमीन अपने नाम पर आवंटन करवाने वाले उद्योगों की जमीनें वापस लेने की तैयारी भी की जा रही हैं।
हरियाणा और राजस्थान ने लगाई जमीन की बिक्री पर बंदिश बंदिश
हरियाणा में औद्योगिक जमीन की किल्लत के चलते राज्य सरकार ने जमीन के कारोबार पर रोक लगा दी है। राज्य की औद्योगिक नीति के अनुसार कोई भी इंडस्ट्री जमीन के आवंटन के 10 साल तक किसी अन्य को नहीं बेच सकता। वहीं इसके बाद भी औद्योगिक जमीन को बचने पर ट्रांसफर फीस के प्रावधान किए गए हैं। वहीं राजस्थान में सरकार से जमीन लेकर इंडस्ट्री लगाने के बाद कारोबारियों द्वारा दूसरों को बेच देने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया है। अब आवंटित जमीन पर उद्योग लगाने के बाद उसे बेचने पर उद्यमियों को 50 फीसदी ज्यादा ट्रांसफर शुल्क चुकाना होगा।
कवायद का मकसद जमीन के धंधे पर रोक लगाना
महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कॉरपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया किकारोबारी औद्योगिक क्षेत्रों में सरकार से सस्ती दरों पर जमीन तो ले लेते हैं लेकिन कई बार सामने आया है कि इन जमीनों पर उद्योग स्थापित ही नहीं होते। बल्कि जमीनों को दूसरे लोगों को ऊंचे दाम पर बेच दी जाती है। ऐसे में अब सरकार इस पर रोक लगाने जा रही है। छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी के अधिकारी ने बताया कि राज्य में औद्योगिक जमीन की बड़ी किल्लत है। ऐसे में सरकारी प्रोजेक्ट पर वेटिंग लिस्ट लंबी होती है। योजना के तहत जमीन पाने वाले कारोबारी जमीनों पर उद्योग लगाने के बजाए लाभ कमाने के लिए दूसरों को बेच देते हैं।
देश में खाली पड़े हैं 40 हजार औद्योगिक भूखंड
एमएसएमई मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश भर में बड़े औद्योगिक पार्क, इंडस्ट्रियल एरिया और स्पेशल इकॉनोमिक जोन में 40,000 से अधिक औद्योगिक भूखंड खाली पड़े हैं। औद्योगिक जमीनों सबसे बड़ी समस्या स्पेशल इकॉनोमिक जोन में है। देश भर में खाली पड़े प्लॉट में से 50 फीसदी प्लॉट विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) में खाली पड़े हैं। यदि राज्य सरकारें उचित योजना बनाकर इन खाली भूखंडों को जरूरतमंद उद्योगों को उपलब्ध कराते हैं तो देश भर में लाखों नए उद्योग सफलता पूर्वक शुरू हो सकते हैं।
छोटे राज्यों में है जमीन की बड़ी समस्या
देश के बड़े भौगोलिक क्षेत्रफल वाले राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में जमीन को लेकर समस्या काफी बड़ी है। छत्तीसगढ जैसे राज्य में 50 फीसदी क्षेत्रफल वनों से ढका है। इसके अलावा कृषि, शहरी और अन्य उपयोग वाली जमीनों के बाद उद्योगों के लिए 5 से 10 फीसदी जमीन ही शेष बचती है। इसी प्रकार झारखंड और बिहार में भी छोटे उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है। छत्तीसगढ की बात करें तो यहां के औद्योगिक क्षेत्रों में 250 एकड़ और बिहार में 615 एकड़ से ज्यादा जमीन खाली पड़ी है। राजस्थान में रीको ने 72000 एकड़ से ज्यादा जमीन उद्योगों के लिए अधिगृहीत की गई है। लेकिन इसमें से 34 हजार एकड़ ही जमीन उद्योगों को मिली है। नए उद्योगों की स्थापना में ये जमीनें काफी मददगार सिद्ध हो सकते हैं।