WPI@0.11%: थोक महंगाई में मामूली बढ़ोतरी, ब्‍याज दरों में कटौती की आस जगी

नई दिल्‍ली। कच्‍चे तेल की कीमतों में गिरावट का रुख बने रहने से गत दिसंबर माह में भी थोक महंगाई दर शून्‍य के करीब बनी रही। हालांकि, नवंबर 2014 के मुकाबले थोक महंगाई दर मामूली रूप से बढ़कर दिसंबर में 0.11 फीसदी पर दर्ज की गई। खुदरा महंगाई दर भी दिसंबर माह में पांच फीसदी पर रही। ऐसे में महंगाई की चाल को देखते हुए ब्‍याज दरों में कटौती की उम्‍मीद बढ़ गई है। आंकड़ों में महंगाई भले ही शून्‍य फीसदी के आसपास बनी हुई है लेकिन खाने-पीने की चीजों के दाम में गिरावट नहीं आ रही है।

सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2014 में खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई दर में तेजी आई और यह नवंबर के 0.63 फीसदी के मुकाबले दिसंबर में बढ़कर 5.20 फीसदी पर पहुंच गई। हालांकि, विनिर्मित उत्‍पादों के महंगाई की वृद्धि दर दिसंबर में 1.57 फीसदी रही, जो नवंबर 2.04 फीसदी थी। समीक्षाधीन माह के दौरान प्राथमिक वस्‍तुओं की महंगाई भी गत दिसंबर में 2.17 फीसदी की दर से बढ़ी, जोकि नवंबर में – 0.98 फीसदी थी।

ईंधन की थोक महंगाई में गिरावट
अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते ईंधन और पावर ग्रुप की थोक महंगाई में गिरावट बनी हुई है। नवंबर 2014 में ईंधन व पावर ग्रुप थोक महंगाई दर जहां -4.91 फीसदी थी, वहीं गत दिसंबर में यह यह -7.82 फीसदी दर्ज की गई

घट सकती हैं ब्‍याज दरें
थोक महंगाई दर के दिसंबर में शून्‍य फीसदी के करीब रहने और खुदरा महंगाई के पांच फीसदी पर बने रहने से ब्‍याज दरों में कटौती की उम्‍मीद बढ़ गई है। रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 में खुदरा महंगाई को 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्‍य तय किया है। ऐसे में माना जा रहा है उद्योगों की मांग के अनुरूप रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्‍याज दरों में कटौती कर सकता है।

क्‍या कहना है इंडस्‍ट्री का
महंगाई के मौजूदा स्‍तर को देखते हुए उद्योग संगठन एसोचैम ने ब्‍याज दरों में कटौती की मांग दोहराई है। संगठन का कहना है कि कर्ज सस्‍ता होने से उत्‍पादकों को वस्‍तु एवं सेवाओं की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं घरेलू मांग में भी तेजी आएगी। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत का कहना है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में धीरे-धीरे तेजी लौट रही है। दिसंबर माह के थोक महंगाई के आंकड़े से साफ है कि ग्रोथ का माहौल बन रहा है। हालांकि, आम आदमी को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाली खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी है।

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