युवराज गुप्ता, बुरहानपुर। बचपन से प्रकृति व पक्षियों के प्रति रहे लगाव को उन्होंने मिशन में बदल दिया। सरकारी सेवा में बड़े पद से सेवानिवृत्ति के बाद पर्यावरण की सुरक्षा ही उनका एकमात्र ध्येय है।
नईदिल्ली से राज्यसभा के रिपोर्टिंग डिपार्टमेंट के पूर्व निदेशक 63 वर्षीय आरसी विरवानी ने तीन सालों में देश के विभिन्न् राज्यों में पर्यावरण सुधार एवं जनसेवा से जुड़े कई कार्य किए। इन कार्यों में अब तक अपनी पेंशन से तीन लाख स्र्पए खर्च कर चुके हैं।
वर्ष 2012 में दिल्ली के गायत्री परिवार के एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वे इतने प्रभावित हो गए कि पर्यावरण आंदोलन के लिए ही अपना जीवन समर्पित कर दिया। बुरहानपुर में दो वर्ष में चार प्रवास के दौरान उन्होंने देड़तलाई में 40 हजार स्र्पए का एक तालाब एवं सारोला में करीब 70 हजार स्र्पए की लागत से दो तालाब बनाए हैं।
सारोला का तालाब हाल ही में तीन दिनों में बनाया गया। इसमें गायत्री परिवार की 28 एकड़ जमीन पर जेसीबी व ट्रैक्टर ट्रॉली की मदद से क्रमश. 10 हजार तथा 1200 वर्गफीट जमीन पर तालाब तैयार हुए। इसके अलावा देड़तलाई में 200 पौधे रोपकर हरियाली का संदेश भी दिया गया है।
पर्यावरण की अलख
श्री विरवानी अलग-अलग मौसम में एक शेड्यूल बनाकर खुद घूमते हैं। इसके लिए इंटरनेट व मैगजीन में देशभर के विभिन्न् गांवों की जानकारी जुटाते हैं और इनमें से चयन कर उन गांवों का दौरा कर पर्यावरण व जलसंग्रहण से जुड़े कार्य कराकर पर्यावरण जागरूकता की सीख देते हैं। श्री विरवानी ने बताया कि जंगलों के विनाश, पानी की समस्या जैसी खबरें पढ़ने के बाद उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद पर्यावरण व समाज के लिए यह मिशन चलाने का निर्णय लिया।
बनाया ब्रांड एंबेसडर
अखिल विश्व गायत्री परिवार के जिला संयोजक बसंत मोड़े एवं मनोज तिवारी ने बताया श्री विरवानी के सेवाकार्यों के चलते उन्हें मार्गदर्शन के लिए बुलाते हैं। इन्हें हमारे सेवाकार्यों के मिशन का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है।
विरवानी के कार्यों का सफरनामा
-वर्ष 2012 में मध्यप्रदेश के बालाघाट में गायत्री परिवार के मंच से मिशन की शुस्र्आत।
-पहला काम वारा सिवनी गांव में एक कुआं 42 हजार स्र्पए बनवाया तथा 20 हजार स्र्पए दान दिए।
-झाबुआ में हाथी पावा पठार पहाड़ी पर दो तालाब बनाए।
-उत्तराखंड में बिठौली गांव और जूनागिरी में तालाब बनवाए।