निजी कर्मचारियों पर पड़ेगी अभावग्रस्त बुढ़ापे की मार

नई दिल्ली, ब्‍यूरो। निजी क्षेत्र में काम करने वाले 92 फीसद कर्मचारी अगर समय रहते नहीं चेते तो उन्हे बेहद तनावपूर्ण व आर्थिक तंगी से जूझते बुढ़ापे के लिए तैयार रहना चाहिए। देश में बेहतर पेंशन उत्पादों की कमी, लोगों के बीच जागरूकता का अभाव और सरकार व निजी क्षेत्र की तरफ से पर्याप्त ध्यान नहीं देने की वजह से अधिकांश प्राइवेट कर्मचारियों के पास पेंशन के लिए कोई सुविधा नहीं है। अगले दो-तीन दशकों में देश की कुल आबादी में सेवानिवृत्त लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पेंशन की कमी सरकार पर एक भारी वित्तीय बोझ बन सकती है।

प्रमुख रेटिंग एजेंसी और आर्थिक मुद्दों पर सलाह देने वाली क्रिसिल रिसर्च ने निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा पर मंगलवार को अपनी रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट के जरिये क्रिसिल ने सरकार को एक तरह से त्राहिमाम संदेश भेजा है कि उसे मौजूदा पेंशन व्यवस्था को बदलने के लिए तत्काल अहम फैसले करने होंगे। ऐसी व्यवस्था करनी होगी, जिससे निजी क्षेत्र के करोड़ो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा मिल सके।

ऐसा नहीं होने पर वर्ष 2050 तक कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 4.1 से छह फीसद तक हिस्सा सिर्फ पेंशन सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए खर्च करना होगा। यह देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा बोझ साबित होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक अभी देश में 60 वर्ष से ज्यादा आयु के 10 करोड़ लोग हैं। वर्ष 2050 तक यह संख्या बढ़कर 30 करोड़ हो जाएगी। आने वाले दिनों में ज्यादातर नौकरियां निजी क्षेत्र में मिलेंगी। ऐसे में इनके लिए पेंशन की बेहतर व्यवस्था करनी होगी। अभी सिर्फ आठ फीसद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के पास पेंशन सुरक्षा है। सरकार को अभी से पेंशन उत्पादों में निवेश को लेकर ज्यादा प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि भविष्य में उसके ऊपर बोझ कम हो।

 

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