मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि आईआईटी दिल्ली के निदेशक रघुनाथ शेवगांवकर की नीति उन्नत भारत अभियान में रोड़ा अटकाने वाली थी। गांवों के विकास के लिए यह योजना बेहद कारगर मानी जा रही है।
अभियान से जुड़े लोगों का दावा है कि यदि योजना सही ढंग से चल निकली तो वह दिन दूर नहीं जब शहरों के युवा रोजगार के लिए गांवों की ओर रुख करेंगे।
देश के छह लाख गांवों के सुदृढ़ विकास के लिए कारगर योजना के अभाव में आईआईटी के जरिए इस अनूठी योजना की शुरुआत हुई थी लेकिन यह सिर्फ कागजों पर ही चलती रही।
मोदी सरकार के आने के बाद इस योजना को जमीन पर उतारने का प्रयास शुरू हुआ है। नए कलेवर में योजना के साथ देश के सभी छह हजार तकनीकी शिक्षा संस्थानों को जोड़ने का खाका तैयार गया है।
इस प्रयास के जरिए तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों को गांव से जोड़ने की कवायद है। ये युवा गांव की संस्थाओं के साथ मिलकर स्थानीय विकास की योजनाओं पर अमल करेंगे।
बताया जा रहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्री बनने के बाद स्मृति ईरानी ने इस योजना में गहरी दिलचस्पी दिखाई। यह योजना प्रधानमंत्री मोदी के सांसद आदर्श ग्राम योजना सरीखी है।
इस योजना के तहत हर आईआईटी अपनी पसंद से दस गांवों को गोद लेता है और उसके बाद उनके विकास की पूरी रूपरेखा तैयार करता है। योजना को पंख लगाने के लिए मंत्रालय की ओर से आईआईटी दिल्ली को राष्ट्रीय सेल के तौर पर यह जिम्मा सौंपा गया था कि वह दिशानिर्देश बनाने के साथ अन्य आईआईटी में भी इस योजना की रफ्तार तेज करे।0
कहा जा रहा है कि शेवगांवकर के इरादे इस योजना के लिए नेक नहीं रहे। अब माना जा रहा है कि नए निदेशक के आने के बाद सरकार उन्नत भारत अभियान की रफ्तार तेज करेगी। मंत्रालय के अधिकारी अभी से इस योजना का ताना-बाना बुनने में जुट गए हैं।