यूपी के मुजफ्फरनगर में भू घोटाले के बाद खादर में जमीन की पैमाइश शुरू हुई तो एक मामले ने सबको चौंका दिया है। सात ऐसे गांव सामने आए हैं, जो लगभग 20 साल पहले गंगा की धारा बदलने से गंगापार पहुंच गए।
इतना ही नहीं मुजफ्फरनगर जिले के यह गांव आज भी यहां के रिकार्ड में दर्ज हैं। मजेदार बात यह है कि गंगापार गए इन गांवों के ज्यादातर लोगों ने बिजनौर में राशनकार्ड और पहचान पत्र हासिल कर लिए। 500 हेक्टेयर के इस रकबा को मुजफ्फरनगर प्रशासन भुलाए बैठा था। मामला सामने आने पर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
भूमि घोटाला सामने आने के बाद प्रशासन की टीमें खादर में पैमाइश कर रही हैं। इस दौरान एक ऐसा मामला सामने आया, जिसका जिला प्रशासन को खुद अंदाजा नहीं था। मुजफ्फरनगर जिले के सात गांव गंगा बैराज के दूसरी तरफ जाने के बाद यहां से अलग हो गए थे।
20 साल पूर्व गंगापार जाने के बाद जिला प्रशासन इन गांवों को भूल गया। प्रशासन के अनुसार इनका रकबा 500 हेक्टेयर के लगभग है। इसमें वन विभाग की जमीन भी शामिल है।
पैमाइश के दौरान एसीओ चकबंदी राजेश श्रीवास्तव ने इन गांवों को ढूंढा। सरकारी सुविधाएं वह बिजनौर से ले रहे हैं। बिजनौर प्रशासन ने उन्हें अपने रिकार्ड में दर्ज कर लिया है।
जब उन्हें बताया गया कि यह गांव मुजफ्फरनगर जिले के रिकार्ड में पहले से ही दर्ज हैं। इस पर उन्होंने बताया कि उनके राशन कार्ड और पहचान पत्र दोनों जिलों के हैं।
ये हैं विवादित गांव
* रामपुर ठकरा
* शेखपुर चमरा
* खांजहापुर
* उजियाली कलां अहतमाल
* उजियाली कलां गैर अहतमाल
* उजियाली खुर्द अहतमाल
* उजियाली खुर्द गैर अहतमाल