सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मौजूदा कोलेजियम सिस्टम की जगह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014 को अपनाने का रास्ता लगभग साफ हो गया है।
नई प्रणाली के लिए अब तक 15 राज्यों ने अपनी सहमति दे दी है। जल्द ही सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति इसके तहत होने लगेगी।
अगस्त महीने में यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है। संविधान संशोधन विधेयक के लिए कम से कम आधे राज्यों की सहमति अनिवार्य है। जानकारी के मुताबिक, 29 राज्यों में से अब तक 15 राज्यों ने इस विधेयक पर हामी भर दी है।
गुजरात, राजस्थान, गोवा, त्रिपुरा आदि राज्यों ने अपनी सहमति की सूचना केंद्र सरकार तक पहुंचा दी है। अब कानून मंत्रालय इसकी समीक्षा करेगा और इसके बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।
कोलेजियम सिस्टम को लेकर गत कई सालों से उठ रहे सवाल और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव का हवाला देते हुए सरकार ने यह विधेयक लाने का निर्णय लिया था।
कोलेजियम सिस्टम में न्यायाधीश ही न्यायाधीश को नियुक्त करते थे। इस नए विधेयक के तहत अब सर्वोच्च और उच्च अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति यह आयोग करेगा।
आयोग में सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश, दो वरिष्ठ न्यायाधीश, कानून मंत्री और दो नामचीन लोग होंगे। दो नामचीन लोगों का चयन एक समिति करेगी। समिति में सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता होंगे।