माइंस मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान एक्ट और नये बिल के बीच में हम खनन का आवंटन करने की स्थिति में नहीं हैं। बड़ी संख्या में माइंस बंद पड़ी हैं। दिशा-निर्देशों के अभाव में हम फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं। अध्यादेश आने से निर्णय लेने का रास्ता साफ हो जाएगा।
बिल पेश होने से आयरन ओर और अन्य मिनरल्स के लिए प्रतिस्पर्धी बिलिंग के जरिए नीलामी किया जाएगा। इसका मकसद निजी निवेश को आकर्षित करना और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी आने और प्रशासन में होने वाली देरी को दूर करना है।
एक वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारी ने बताया कि निकट भविष्य में अभी कुछ और कदम उठाए जाने हैं। जो इस बात का संकेत है कि सुधार की गति बनाए रखी जाएगी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम से सब्सिडीज को सीधे लाभार्थी के बैंक अकाउंट में भेजने का लक्ष्य है। यह स्कीम पूरे देश में 1 जनवरी से लॉन्च की जाएगी। यह कदम अब तक कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे लोगों को सब्सिडी से अलग करने के लिए उठाया जा रहा है।
भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन ऐक्ट 2011 में उचित मुआवजा के अधिकार और पारदर्शिता के नियमों को पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा जोड़ा गया था। सरकार पहले ही इस कानून के उन प्रावधानों के प्रति अपनी नाखुशी जाहिर कर चुकी है जिनकी वजह से भूमि अधिग्रण ठप पड़ गया। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘बातचीत जारी है…ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अध्यादेश को जल्द ही कैबिनेट द्वारा पास किया जा सकता है।’
सरकार मुआवजे में बदलाव किए बिना ही भूमि कानून में छूट प्राप्त सेक्टरों को बढ़ान के पक्ष में है और इसमें रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और विनिर्माण क्षेत्रों को शामिल करने करना चाहती है।
माइंस एक्ट में बदलाव
प्रस्तावित कैबिनेट नोट से 50 साल के लिए नई माइनिंग को लीज पर जारी किया जा सकता है और 50 साल बाद री-ऑक्शन का भी प्रावधान होगा। इन रियायतों को ट्रांसफर भी किया जा सकता है, ताकि निजी निवेश और नई टेक्नोलॉजी को आकर्षित किया जा सके। प्रस्ताव के मुताबिक, सरकारी कंपनियों को माइनिंग लीज पर लेने या बिना नीलामी प्रक्रिया के लाइसेंस हासिल करने का प्रावधान भी है, जिससे निजी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम बनाया जा सके।