क्या कहती है रिपोर्ट
पीडब्ल्यूसी की ‘द फ्यूचर ऑफ इंडियाः द विनिंग लीप’ के मुताबिक, "इंडिया की रिटेल इंडस्ट्री (ऑर्गेनाइज्ड और अन-ऑर्गेनाइज्ड) 2020 तक 10 फीसदी सीएजीआर (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़कर 2012 में 50 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2020 में एक लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा।"
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इंडिया के कुल रिटेल मार्केट में 92 फीसदी हिस्सेदारी अन-ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर की होगी। रिटेल मार्केट में छोटे कारोबारियों की तरफ से चला रहे लोकल शॉप्स का ही दबदबा होगा।
इस मामले में हम अभी भी पीछे
पीडब्ल्यूसी के मुताबिक, "भले ही इंडिया दुनिया के तेजी से बढ़ते हुए रिटेल मार्केट में एक है, लेकिन ऑर्गेनाइज्ड रिटेल की हिस्सेदारी के मामले में यह दूसरे देशों से काफी पीछे है। अमेरिका के रिटेल मार्केट में ऑर्गेनाइज्ड रिटेल की भागीदारी 85 फीसदी, ब्रिटेन में 80 फीसदी, थाईलैंड में 40 फीसदी, चीन में 20 फीसदी और दक्षिण कोरिया में 15 फीसदी है।"
फिर भी ऑर्गेनाइज्ड रिटेल में ग्रोथ
पीडब्ल्यूसी का मानना है कि ऑर्गेनाइज्ड रिटेल सालाना आधार पर 24 फीसदी की दर से बढ़ेगा, लेकिन 2024 तक इसकी कुल रिटेल में भागीदारी एक तिहाई से कम ही रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, "साल 2012 में ऑर्गेनाइज्ड रिटेल की कुल रिटेल में हिस्सेदारी 8 फीसदी थी, जो 2024 में बढ़कर 30 फीसदी और 2034 में 50 फीसदी होने की संभावना है।"
इंडिया में फ्यूचर ग्रुप, आदित्य बिड़ला ग्रुप, भारती ग्रुप जैसे ऑर्गेनाइज्ड प्लेयर बिजनेस कर रहे हैं। वहीं, वॉलमार्ट समेत दूसरी विदेशी रिटेल कंपनियां मल्टी-ब्रान्ड रिटेल में एफडीआई नियमों में ढील देने की वकालत कर रही हैं। इस समय मल्टी-ब्रान्ड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिली हुई है।