संसदीय समिति ने रेलवे के तत्‍काल किराये पर लगायी फटकार

लोकलेखा समिति गुरुवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में तत्काल टिकटों की बिक्री और मूल्य व्यवस्था को गरीब विरोधी बताया है. पेश की गयी समिति की 11वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्काल टिकटों की व्यवस्था अंतिम समय पर यात्रा का निर्णय लेने वाले यात्रियों की सहूलियत के लिए शुरू की गयी थी.

इसका लाभ सभी वर्ग के यात्रियों को मिलता चाहिए था, लेकिन हाल के वर्षों में रेलवे ने इस प्रणाली का उपयोग मुनाफे के लिए करना शुरू कर दिया है. उसने आधे तत्काल टिकटों को परिवर्तनशील किराया प्रणाली (डायनामिक फेयर) में डाल कर इनके लिए ऊंची दरें तय कर दी गयी हैं.

इससे इस प्रणाली का उद्देश्य बाधित हो गया है. क्योंकि संपन्न लोग तो इंटरनेट के जरिये ऊंची दरों पर तत्काल टिकटें बुक करा लेते हैं, परंतु गरीब लोगों के लिए ऐसा करना संभव नहीं होता और यह उनके हित में नहीं है. इसलिए रेलवे को इसे दुरुस्त कर गरीबों के अनुकूल बनाना चाहिए.

उसे न केवल तत्काल टिकटों पर प्रीमियम घटाना चाहिए, बल्कि इंटरनेट से इनकी बुकिंग की सीमा भी कम करनी चाहिए, ताकि गरीब यात्री टिकट खिड़की से आसानी से तत्काल टिकट बुक करा सकें. समिति ने सुरक्षा के लिहाज से वैसे तो रेल यात्रियों के लिए पहचान पत्र की अनिवार्यता को सही ठहराया है, लेकिन इस नियम के नाम पर बच्चों, महिलाओं, गरीबों, अनपढ़ व वृद्ध यात्रियों को प्रताड़ित न किए जाने के लिए टीटीई को निर्देश देने की भी सिफारिश की है.

समिति ने रेल यात्री सेवा एजेंट (आरटीएसए) स्कीम के तहत अनियमितताएं करते पकड़े जाने वाले एजेंटों के खिलाफ समुचित कार्रवाई न करने के लिए रेलवे को फटकार लगायी है. आरटीएसए की स्कीम 1985 में प्रारंभ की गयी थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *