सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए नयी पहलों की तैयारी : जेटली

प्रभात खबर,नयी दिल्ली : आर्थिक सुधारों को आगे बढाने की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की प्रतिबद्धता के प्रति भारतीय उद्योग जगत को आश्वस्त करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिए और कदम उठायेगी. जेटली ने कहा ‘मेरी व्यय प्रबंधन आयोग के साथ कई बैठकें हुईं हैं.

वे सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के संबंध में कुछ अहम सुझावों पर काम कर रहे हैं.’ जेटली ने कहा कि अगले कुछ महीनों, हो सकता है कि इससे पहले ही वह कुछ अंतरिम सिफारिश हमारे समक्ष लायें ताकि हम उस दिशा में आगे बढ सकें. डीजल मूल्य को बाजार के हवाले करने के सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए मंत्री ने इंडिया इकनोमिक कान्क्लेव में कहा कि इससे सरकार के सब्सिडी बोझ को कम करने में मदद मिलेगी.

इसके अलावा सरकार ने हाल ही में चुनिंदा शहरों में शुरुआती योजना के तहत एलपीजी ग्राहकों को सीधे नकद सब्सिडी देने का फैसला किया है. केंद्र ने पूर्व आरबीआई गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है जो सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के संबंध में और प्रभावी तरीके से राजकोषीय घाटा कम करने के सुझाव देगा. सरकार फिलहाल लाखों करोड रुपये की कई तरह की सब्सिडी प्रदान करती है.

अनुमान है कि 2014-15 में सब्सिडी 2.51 लाख करोड रुपये रहेगी. टेलीविजन चैनल ईटी नॉउ द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में जेटली ने भरोसा जताया कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बीमा और जीएसटी विधेयकों को आगे बढा सकेगी. राज्य सभा में पूर्ण बहुमत न होने के मद्देनजर इन विधेयकों को पारित कराने के लिए संयुक्त सत्र आयोजित करने के संबंध में सरकार के विचार के मामले में उन्होंने कहा कि हम इन विधेयकों को पारित कराने के लिए दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को अंतिम उपाय के तौर पर नहीं अपनाना चाहते. लेकिन यदि ऐसा करना जरुरी होता है तो यह संवैधानिक जरिया होगा.

प्रधानमंत्री की 64 साल पुराने योजना आयोग के स्थान पर नए संस्थान की स्थापना के संबंध में कल मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के संबंध में जेटली ने कहा ‘हम राज्यों को सशक्त बनाने में विश्वास रखते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे भरोसा है कि कल की बैठक के बाद जो भी फैसला होगा उससे संभवत: राज्य बेहतर स्थिति में होंगे.’

इस्पात क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सेल की हिस्सेदारी बिक्री पर बाजार की प्रतिक्रिया को उत्साहजनक करार देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि बाजार में मजबूती और गहराई बढ रही है. उन्होंने कहा ‘सरकार का विनिवेश कार्यक्रम कल शुरु हुआ. कल बाजार की प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही. विशेष तौर पर खुदरा निवेशकों ने सेल की पेशकश को ढाई गुना अभिदान दिया.’

उन्होंने कहा ‘सरकारी उपक्रमों के शेयर विनिवेश में खुदरा निवेशकों का बडे पैमाने पर आगे आना भी एक संकेत है. बाजार की गहराई बढती नजर आती है.’ सेल की शेयर बिक्री पेशकश चालू वित्त वर्ष की पहली विनिवेश पेशकश है और इसे दोगुना से अधिक अभिदान मिला जिससे सरकारी खजाने में 1,715 करोड रुपये आए. सरकार ने चालू वित्तवर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए 43,425 करोड रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

वित्त मंत्री ने उम्मीद जतायी कि वह प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे. उन्होंने कहा ‘प्रत्यक्ष राजस्व के लिहाज से जैसा मैंने पहले कहा था, उसके बेहद करीब हूं. मेरी वास्तविक चुनौती अप्रत्यक्ष कर की है और अप्रत्यक्ष कर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि के साथ जुडा है.’ उन्होंने कहा ‘अप्रत्यक्ष कर संग्रह धीरे-धीरे बढ रहा है. मुझे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में हम इस दिशा में उल्लेखनीय गतिविधि देख सकते हैं.’

सरकार का चालू वित्त वर्ष में 7.36 लाख करोड रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य है. इस मद में पिछले साल 6.36 लाख करोड रुपये की वसूली की गयी थी. अप्रत्यक्ष कर के तौर पर 6.24 लाख करोड रुपये के संग्रह का लक्ष्य है जो 2013-14 के स्तर से 20.28 प्रतिशत अधिक है. भूमि अधिग्रहण कानून के संबंध में जेटली ने कहा कि इससे बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हुई है और उन्होंने उम्मीद जतायी कि सरकार अगले कुछ सप्ताह में इसका समाधान ढूंढ लेगी. उन्होंने कहा ‘जब तक कानून में कुछ बदलाव नहीं हो जाते और प्रक्रिया आसान नहीं हो जाती इसका भारतीय अर्थव्यवस्था की भावी वृद्धि पर असर पडेगा.

मैं इस मुद्दे पर सरकार के भीतर और विपक्ष के सहयोगियों के साथ सक्रिय चर्चा में शामिल रहा हूं.’ जेटली ने कहा ‘मुझे भरोसा है कि अगले कुछ महीनों में हम इस समस्या का प्रभावी हल ढूंढ लेंगे.’ सम्मेलन में आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने कहा, मुझे लगता है कि पूरी कोशिश (नयी सरकार की विनिर्माण को बढावा देने की कोशिश) दिशा के लिहाज से बडी उपलब्धि है.

सरकार के लिए केंद्रीय क्षेत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा ‘करना यह चाहिए कि अब तक अटकी पडी विभिन्न परियोजनाओं को अंतिम स्वरुप दिया जाए. इसके अलावा आपूर्ति पक्ष को बढावा देने की जरुरत है ताकि दीर्घकालिक स्तर पर मुद्रास्फीति पर लगाम लगाई जा सके. मैं कहूंगी कि अर्थव्यवस्था में आपूर्ति बढाने पर दिया जाना चाहिये, जिसका तात्पर्य उत्पादन में सुधार और इसे बढाना है, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि अर्थव्यवस्था में आपूर्ति में सुधार हो, क्योंकि यही एक जरिया है जिससे दीर्घकाल में संरचनात्मक ढंग से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण होगा.

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