लघु सिंचाई विभाग ने जिले में बोरिंग से पहले सर्वे की जिम्मेदारी ग्राउंड वाटर रिसोर्स सर्विस सेंटर को सौंपी है। इसका पता है 343 ए, मम्फोर्डगंज लेकिन इस मकान में न कोई दफ्तर है और न ही कोई कर्मचारी। नेवढ़िया तरहार गांव के राधेश्याम द्विवेदी ने तीन माह पहले बोरिंग कराई थी। उनके बेटे शेष द्विवेदी ने बताया कि उनके यहां कोई भी सर्वे करने नहीं गया था। बोरिंग से पहले 51,500 रुपए जमा कराए गए थे। इसमें सर्वे शुल्क के 1500 रुपए भी शामिल थे।
दो साल के दौरान जिले में 650 से अधिक किसानों के खेतों में मध्यम व गहरी बोरिंग कराई गई। लेकिन किसी भी किसान की सर्वे टीम के सदस्यों से मुलाकात नहीं हुई। सारा खेल अनुदान का है क्योंकि सरकार इसके लिए काफी अनुदान दे रही है। जो किसान अफसरों के मानक पर खरे नहीं उतरते, उनके बोरिंग स्थल को निगेटिव की श्रेणी में डाल दिया जाता है।
यह भी होता है खेल
टारगेट अगर 200 बोरिंग का है तो 300 से अधिक किसानों से सर्वे शुल्क जमा कराया जाता है। इनमें कई किसानों के बोरिंग स्थल की सर्वे रिपोर्ट में निगेटिव लिख दिया जाता है। डेढ हजार रुपए में 1000 सर्वे शुल्क काटकर 500 रुपए वापस कर दिए जाते हैं। कुछ किसानों से यह भी कहा जाता है अगले साल टारगेट आने पर उनकी बोरिंग करा दी जाएगी।
दो साल में हुई बोरिंग
बोरिंग 2012-13 2013-14
मध्यम गहरी बोरिंग 271 269
गहरी बोरिंग 85 71
कितना मिलता है अनुदान
200 फीट तक मध्यम गहरी बोरिंग- 75,000 रुपए
गहरी बोरिंग 200 फीट से अधिक- एक लाख रुपए
जल वितरण प्रणाली के लिए- 10,000 रुपए
विद्युत कनेक्शन के लिए – 68,000 रुपए
इनका कहना है
सर्वे कराने की जिम्मेदारी अधिशासी अभियंता की है। सर्वे कराने वाली फर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं है। – टीएस तिवारी, सहायक अभियंता व जिला प्रभारी
पांच साल पहले भी सर्वे फर्म को लेकर ऐसी शिकायत आई थी। तब जांच अधिकारी ने रिपोर्ट दी थी कि फर्म के लोग दफ्तर में नहीं मिले थे। बताया गया था कि वे फील्ड में गए हैं। अगर फर्म के पते के दफ्तर में कोई कर्मचारी नहीं मिला तो इसकी जांच कराई जाएगी। वैसे फर्म वाले रिमोट सेंसिंग से सर्वे कराते हैं। – आलोक सिन्हा, अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई