उन्होंने कहा कि पिछले साल हम अपने प्रयास में सफल हुए। देशभर में हमने दस लाख के आंकड़े को भी पार कर लिया था। इस साल भी हमे इस बड़े लक्ष्य, जो दस लाख से कम न हो, को पार करना है। साल के अंत मे मेरे पास जरूरी आंकड़े होंगे और मैं निश्चित ही कह पाऊंगा कि मेरे मित्रों ने अच्छा काम किया, लेकिन इस बार उसके लिए कुछ और प्रयास की जरूरत है। उन्होंने कहा, मैं देख रहा हूं कि लोक अदालतों में वादियों पर थोड़ा बहुत दबाव होता है। मेरे विचार से इन मामलों से निबट रहे व्यक्तियों को संबंधित पक्षकारों पर ही यह छोड़ देना चाहिए और उन्हें ही आपस में सौहार्दपूर्ण तरीके से विवाद हल करने देना चाहिए। चूंकि, कुछ वर्गों से हम अक्सर यह बयान सुनते हैं कि पक्षकार पर किसी विशेष दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला गया।
उन्होंने कहा, मेरा विचार है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। हम पक्षकारों पर दबाव डालने के लिए नहीं हैं। उनके विवाद को उनके बीच सबसे अधिक सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से सुलझाए जाने की जरूरत है और जब वे लौटें तो मुस्कान के साथ लौटें। वे उन लोगों को धन्यवाद दें, जिन्होंने मामले पर विचार किया।