इनमें से 16 लोग अमृतसर के गांवों के हैं और शेष गुरदासपुर के रहने वाले हैं। इन सभी मरीजों को शहर के आंख, नाक व गला अस्पताल में भर्ती किया गया है। इस बीच यह जानकारी मिली है कि मथुरा, उत्तर प्रदेश के एसकेएल अस्पताल की ओर से यह कैंप लगाया गया था। साथ ही वहीं के चिकित्सकों ने ऑपरेशन भी किया था। अधिकारियों ने बताया है कि 20 नवंबर को यह ऑपरेशन किया गया था।
इनमें से 16 लोगों का सहायक प्रोफेसर कर्मजीत सिंह की देखरेख में इलाज चल रहा है। सिंह ने कहा कि इन मरीजों की आंखों की रोशनी स्थायी रूप से चली गई है और वे कभी भी देख नहीं सकेंगे। उपायुक्त भगत ने बताया कि इस मामले की जांच के सिविल सर्जन को आदेश दे दिए गए हैं। उनसे सोमवार तक रिपोर्ट मांगी गई है। इस बीच ऑपरेशन के बाद नेत्रहीन होने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
सिविल सर्जन ने प्रतिनिधिमंडल के साथ गए 16 पीडि़तों को अमृतसर में ईएनटी अस्पताल में दाखिल करवाया दिया है। सिविल सर्जन राजीव भल्ला ने बताया कि गत दिनों गुरदासपुर के घुमाण गांव में एक एनजीओ की तरफ से लगाए गए शिविर में इन मरीजों का इलाज किया गया था।
यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब अमृतसर के 16 मरीजों ने उपायुक्त भगत से शिकायत की। सिविल सर्जन ने बताया कि इस तरह के कैंप लगाने के लिए जिला प्रशासन और सिविल सर्जन से अनुमति लेना अनिवार्य होता है किंतु इस मामले में इस कानून का पालन नहीं किया गया।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश :
पंजाब के सेहत मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने इस मामले में बगैर किसी देरी के विभाग की प्रमुख सचिव विनी महाजन को जांच के आदेश दिए हैं। मंत्री ने अपने आदेश में कहा है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंचे और पूरे मामले की तहकीकात करें कि आखिर ऐसा कैसे हुआ।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि निश्चित रूप से यह गंभीर मामला हैं। रोशनी खोने वाले लोगों की पंजाब सरकार मदद भी करेगी। अगर किसी मरीज का इलाज दिल्ली भेज कर या दिल्ली से डाक्टर बुलवाकर करवाना पड़ा तो विभाग ऐसा भी करेगा। उधर, अमृतसर के डीसी रवि भगत ने सिविल सर्जन ने भी जांच के आदेश जारी किए हैं।