केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्र की तरफ से राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान में कटौती का आज संकेत दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों को विकास और अन्य योजनाओं के लिए संसाधन सृजित कर खुद अपने सहारे खड़ा होना होगा।
जेटली ने यहां एक जनसभा में कहा कि वे दिन अब बीत गए हैं जब केंद्र धन उपलब्ध कराता था और राज्य सरकारे शासन करती थीं। अब प्रत्येक राज्य को अपने दम पर खड़ा होना है। उन्होंने कहा कि देश में राज्यों की अर्थव्यवस्था निवेशकों द्वारा किये गए निवेश पर निर्भर करती है। ये निवेश अपना लाभ देखने के साथ साथ रोजगार भी सृजित करते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था कैसे काम करती है इसके लिए निवेश की जरूरत होती है और निवेशक लाभ चाहते हैं। लाभ के अलावा निवेशक रोजगार सजित करते हैं और सरकार को कर देते हैं। राज्य सरकार को धन प्राप्त होता है जिसका उपयोग विकास तथा गरीब लोगों के लिए योजनाएं बनाने में किया जा सकता है।
जम्मू कश्मीर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन, जल संसाधन तथा हस्तशिल्प क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। इसका अबतक दोहन नहीं हो पाया है। जेटली ने कहा कि जम्मू कश्मीर में काफी संभावनाएं हैं। कश्मीर घाटी में पर्यटन की काफी संभावना है। राज्य के पास काफी पानी है और इससे बड़ी मात्रा में बिजली पैदा की जा सकती है जिसे अन्य राज्य को दिया जा सकता है।
कश्मीरी हस्तशिल्प रखने के शौकीन माने जाने वाले अरुण जेटली ने कहा कि अकेले दस्तकारी क्षेत्र राज्य के लिये अच्छी आय सृजित कर सकता है। साथ ही दस्तकारों के लिये रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने पूरी दुनिया की यात्रा की है और मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि कश्मीरी दस्तकार बुनायी का जो काम करते हैं वह दुनिया में बेहतरीन है।
जेटली ने कहा कि यह राज्य अपने इन संसाधनों का अभी तक लाभ नहीं उठा सका है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन है।
इससे पहले, जेटली ने कहा था कि न केवल केंद्र सरकार द्वारा बल्कि राज्य सरकारों तथा संसद में विपक्षी दलों समेत कई अन्य संस्थानों द्वारा भी अर्थव्यवस्था के लिए और सकारात्मक माहौल तैयार करने के लिए और कदम उठाने की जरूरत है।
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 का जिक्र किए बिना उन्होंने कहा कि आम लोगों की समस्याएं, केंद्र या राज्य के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे से अलग हैं। जेटली ने कहा कि देश के संविधान के तहत यह बताया गया है कि कौन से विषय केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आएंगे और कौन से राज्य के 67 साल बीत गए लेकिन अब आम लोगों की समस्याएं इस बहस से अलग हो गई है।
उन्होंने कहा कि आम लोगों की समस्याओं का संबंध इससे नहीं है कि कौन सी शक्तियां केंद्र के पास हैं और कौन सी राज्य के पास। जब कश्मीर में बाढ़ आती है,क्या कोई शक्तियों की परवाह करता है। जेटली ने कहा कि खासकर कश्मीर और जम्मू के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कैसे उनका जीवन सुरक्षित होगा।
उन्होंने कहा कि लोग इस बात को लेकर चिंतित है कि उन्हें सुरक्षा कैसे मिले उनके साथ हुए अन्याय पर सुनवाई कहां होगी वे आर्थिक विकास को लेकर चिंतित हैं और सोचते हैं कि उनके जीवन स्तर में कैसे सुधार हो।