शहर से लगे एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले छात्र को स्कूल प्रबंधन ने केवल इसलिए निकाल दिया कि वह एचआईवी पीड़ित है। दो महीने पहले स्कूल से निकालने के दौरान प्रबंधन की ओर से कहा गया कि इससे अन्य छात्रों में संक्रमण फैल सकता है। प्रबंधन की इस कार्रवाई से छात्र दहशत में है और उपेक्षा का शिकार हो रहा है। अब वह अपने हम उम्र बच्चों के साथ खेलने को मोहताज हो गया है। हालांकि वह पढ़ना चाहता है, इसलिए परिजन उसे घर में ही रखकर पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
मजदूर हैं परिजन
इस मामले में दुखद बात यह है कि छात्र के माता-पिता सहित तीन लोग इसी बीमारी से असमय काल के आगोश में समा गए हैं। अब यह अनाथ भी एचआईवी से संक्रमित है। बावजूद बच्चे की प़ढ़ाई के प्रति लगन देखकर परिजन उसे पढ़ाने के लिए आगे आए हैं। रोजी मजदूरी करने वाले परिजन किसी तरह बच्चे का लालन-पालन कर रहे हैं। वहीं गरीबी की वजह से परिजन बच्चे का ठीक से इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं।
हो सकती है दो साल की सजा
एचआईवी-एड्स बचाव नियंत्रण विधेयक 2014 में प्रावधान किया गया है कि एचआईवी पीड़ित से भेदभाव करने पर दो साल की सजा व 10 हजार रुपए का जुर्माना हो सकता है। बावजूद एक गरीब अनाथ बच्चे को स्कूल से निकाल दिया गया है और पूरा शिक्षा विभाग खामोश है।
मुझे अब तक इस मामले की कोई जानकारी नहीं थी, अभी पता चला है। यदि ऐसा है तो निश्चित रूप से मैं स्वयं इसकी जानकारी लेता हूं। एचआईवी कोई संक्रमण वाली बीमारी नहीं है। छुआछुत से तो फैलती ही नहीं है। यदि स्कूल प्रबंधन ने बच्चे को स्कूल से निकाल दिया है तो उन पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस तरह बच्चे को स्कूल से निकाला नहीं जा सकता है।
मनीन्द्र श्रीवास्तव, जिला शिक्षा अधिकारी
हम बच्चे की पूरी तरह से देखरेख कर रहे हैं। हम उसके लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि बच्चे को पूरी दवा निःशुल्क मिले। बच्चे के इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। उसके इलाज के लिए जो हो सकेगा किया जाएगा।
डॉ. हबेल उरांव, सीएमएचओ, रायगढ़