मेकॉज में भर्ती दर्जन भर जवानों में आधे मलेरिया पीड़ित हैं। पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, जवानों को मलेरिया से बचाव के लिए किट उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही कैंप में डॉक्टरों को भी तैनात किया गया है। बावजूद इसके जवानों को मलेरिया से मौत का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा मौतें दिमागी बुखार से हो रही हैं।
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के अनुसार, हर साल 50 से ज्यादा जवानों की मौत मलेरिया से हो रही है। पिछले महीने सुकमा जिले में तैनात कश्मीर निवासी एक जवान की मौत दिमागी बुखार से मेकॉज में हुई। वहीं बीमार तीन जवानों को भर्ती किया गया। इसके अलावा दंतेवाड़ा, बीजापुर सहित जिले के करनपुर और जगदलपुर स्थित कैंप में तैनात आधा दर्जन से अधिक बीमार जवानों का उपचार चल रहा है। इनमें आधे को मलेरिया पॉजिटिव पाया गया है। इससे पहले भी जगरगुंडा, कोंटा क्षेत्र के जवानों को हेलीकॉप्टर से शहर भेजा गया था। जांच में वे भी मलेरिया पॉजिटिव पाए गए थे।
पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के अनुसार, सप्ताह-पंद्रह दिनों तक वे कैंप से बाहर रहते हैं। गश्ती के दौरान जंगल-पहाड़ियों के अलावा रात पेड़ और झाड़ियों में गुजारते हैं। इस दौरान मच्छर सहित अन्य कीड़े-मकोड़े शरीर को काट लेते हैं। वहीं गश्ती के दौरान स्वच्छ पानी का अभाव रहता है। विस्फोटकों की आशंका से अनजान हैंडपंप, कुएं आदि का पानी नहीं पी सकते हैं।
जंगल में झरना-डबरा का पानी पीते हैं। इससे भी स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जवानों के लिए बुखार होने पर तत्काल मलेरिया जांच के लिए पैरा किट सहित क्रीम व दवा दी गई है। साथ ही कैंप के आसपास नियमित फागिंग की जाती है।
एआईजी नक्सल ऑपरेशन देवनाथ ने बताया कि गंभीर रूप से बीमार जवानों को हेलीकॉप्टर की मदद से शहर लाया जाता है। कई मामलों में जवानों को रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल और एमएमआई अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है। जवानों को छूट्टी पर जाने से पहले और आने के बाद भी ब्लड टेस्ट कराया जाता है। जवानों को ऑपरेशन के दौरान मच्छरदानी भी उपलब्ध कराई जाती है।