संभाग के जगदलपुर, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर जिलों में साल वन अधिक हैं। ठंड शुरू होने के साथ ही ग्रामीण साल वृक्ष के तनों में जगह-जगह कुल्हाड़ी मार कर छेद कर देते हैं। इन्ही छेदों से रिसा साल रस जम कर धूप कहलाता हैं ।ग्रामीण इन्हे एकत्र कर रखते हैं। वनांचल में पहुंचे दलाल ग्रामीणों से 60 से 80 रुपए प्रति पायली की दर से साल धूप खरीद रहे हैं और इसे निजी वाहनों से रायपुर और ओडिशा के शहरों तक पहुंचा रहे हैं।
नाम नहीं छापने की शर्त पर ग्राम माचकोट औेर जरीगुड़ा के ग्रामीणों ने बताया कि धूप संग्रह करने वाले दलाल ग्रामीणों को एडवांस राशि देकर पहले से फांस लेते हैं, इसलिए उनके व्दारा निर्धारित दर पर ही ग्रामीणों को साल धूप बेचना पड़ता है।
सूत्रों की माने तो प्रति वर्ष धूप दलाल लगभग 30 टन धूप बस्तर से पार कर लेते हैं। नारायणपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, पखांजूर इलाके का धूप बालोद के तस्करों द्वारा पार किया जा रही है। वहीं कोंडागांव, माकड़ी, फरसगांव, केसकाल आदि क्षेत्र के धूप पर कोंडागांव व चारामा के दलालों का कब्जा है। साल धूप का संग्रहण औेर खरीदी-बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं बावजूद इसके बड़े पैमाने पर धूप की अवैध निकासी हो रही हैं। कोंडागांव, नारायणपुर की कुछ समितियां भी धूप बत्ती बनाकर बेच रही हैं।
सूचना पर होती है कार्रवाई
वनमंडलाधिकारी हेमंत पांडे ने बताया कि साल धूप का संग्रहण और खरीदी-बिक्री वर्षों से प्रतिबंधित है। धूप दोहन से साल वृक्ष सूख जाता हैं, इसलिए धूप संग्रहण और विक्रय करने वाले ग्रामीणों को पकड़ा जाता है। मुखबिरों से मिली सूचना पर साल धूप परिवहन करते कुछ वाहनों को पकड़ा गया था। धूप की मांग और अवैध निकासी की खबर आने के बाद अमला को सतर्क कर दिया गया है।