अनूपपुर(ब्यूरो)। गांव में बिजली है। लोगों के घरों में टीवी है। प्राइमरी स्कूल भी है और लोगों की सुविधा के लिए 20 हैंडपंप भी। बस नहीं है तो केवल शौचालय। ये हालात-ए-बयां हैं अनूपपुर से 30 किमी की दूरी पर बसे गांव कदमसरा के। लगभग ग्यारह सौ की आबादी वाले इस गांव में किसी भी घर में शौचालय नहीं है। हालात ऐसे हैं कि यहां सरपंच, ग्राम रोजगार सहायक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के घर तक में शौचालय नहीं है।
मोदी के संकल्प से भी इन्हें नहीं इत्तेफाक
लोगों को स्वच्छता के महत्व से परिचित कराने केंद्र व राज्य सरकार ने मर्यादा भारत अभियान, निर्मल भारत अभियान और समग्र स्वच्छता जैसे अभियान चला रखे हैं। लेकिन इन अभियानों का कदमसरा के लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगातार इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को भी गांव के लोग धता बता रहे हैं। 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के हर घर में शौचालय के संकल्प से शायद यहां के लोग इत्तेफाक नहीं रखते।
सरकारी दीवारों तक सीमित संदेश
सरकार की कोशिशों की सूरत यहां बस दीवारों पर ही नजर आती है। ग्राम पंचायत और आंगनबाड़ी भवन की दीवारों पर शौचालय के उपयोग के संदेश तो लिखे हैं, लेकिन इसे न तो लोगों ने जहन में उतारा और न ही पंचायत के पास किसी योजना को अमलीजामा पहनाने की कोई योजना है।
आंगनबाड़ी में है शौचालय, लेकिन खुजली का भी डर
आंगनबाड़ी सहायिका ओमबती विराट ने बताया कि आंगनबाड़ी और स्कूल भवन में शौचालय तो है, लेकिन यहां ताला ही लटका रहता है। कारण पूछने पर कहतीं हैं कि पानी के अभाव में सफाई नहीं हो पाती। शौचालय का उपयोग करते हैं तो खुजली शुरू हो जाती है।
गांव में एक भी शौचालय नहीं है। मेरे घर में भी नहीं है। प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे। -विशाल सिंह, सरपंच
मर्यादा अभियान पिछले दो वर्ष से जिले में लागू है। इसके पूर्व समग्र स्वच्छता अभियान चल रहा था। कदमसरा ग्राम पंचायत में नल-जल योजना न होने के कारण शौचालयों का निर्माण नहीं किया गया।
-आरएन वर्मा, प्रभारी जिला समग्र स्वच्छता एवं मर्यादा अभियान
चरणबद्ध योजनाएं बनती हैं। इस गांव में शौचालय बनाने का नंबर नहीं आया है, जिससे योजना नहीं बनी है। -आरपी त्रिपाठी, सीईओ, जनपद पंचायत, जैतहरी