ईरान में इस साल चावल की फसल अच्छी हुई है, इसीलिए भारतीय बासमती पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले ईरान ने बासमती चावल पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर दिया था।
बासमती चावल के निर्यातकों का कहना है कि ईरान अक्टूबर से दिसंबर के हर साल चावल के आयात पर प्रतिबंध लगाता है या फिर आयात शुल्क में इजाफा करता है। यह नई बात नहीं है। हालांकि इस साल ईरान ने आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध की घोषणा की है, बावजूद इसके बाजार पर नकारात्मक असर नहीं होगा। जनवरी में इस किस्म के चावल के आयात पर से प्रतिबंध हट जाएगा। ईरान ने केवल भारत के ही नहीं बल्कि अन्य सभी देशों से चावल के आयात पर प्रतिबंध लगाया है।
जनवरी में बढ़ेगी मांग
ईरान में आम तौर पर घरेलू चावल दिसंबर तक खत्म हो जाती है। वहां जनवरी से मांग बढ़ने लगती है। इस बार भी ऐसा होने की उम्मीद जताई जा रही है। फिर भी, देश के चावल निर्यातकों के बिजनेस पर इसका थोड़ा असर देखा जा सकता है। निर्यात घटने की वजह से घरेलू बाजार में चावल के भाव घट सकते हैं।
गिरेंगे चावल के भाव
ईरान में बासमती चावल के आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण घरेलू बाजार में चावल के भाव में गिरावट बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। बासमती चावल की कीमतों में 500-1,500 रुपए प्रति टन तक की कमी का अनुमान है।