नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने देश से बिजली संकट दूर कर 24 घंटे बिजली मुहैया कराने के लिए 25,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सरकार ने शहरी इलाकों में सब-ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 32,612 करोड रुपये की योजना को मंजूरी दे दी है। गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में मोदी सरकार ने गांवों के कृषि और गैर-कृषि इलाके में बिजली आपूर्ति के लिए अलग-अलग फीडर लगाने व गांवों में बिजली आपूर्ति की दशा को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) को अपनी मंजूरी दे दी। कैबिनेट कमेटी के फैसले के मुताबिक कृषि व गैर कृषि फीडर को अलग करने के काम और ग्रामीण इलाके में आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत करने में 43,033 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में बीजली चोरी की समस्या बहुत गंभीर है। देश के ग्रामीण इलाकों में डबल फीडर लाइऩ लगाने और शहरों में इंडस्ट्रियल यूज की बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए केन्द्र सरकार की योजना के मुताबिक अगले कुछ सालों में लगभग 25,000 करेड़ रुपए खर्च करने की योजना है। सरकारी सूत्रों का मानना है कि सरकार के इस कदम से देश में बिजली चोरी पर लगाम लगेगा और 24 घंटे बिजली देने का सपना पूरा करने में आसानी होगी।
शहरी बिजली: एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) को मंजूरी
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, मंत्रिमंडल ने एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) को अपनी मंजूरी दी जिसका उद्देश्य शहरी इलाकों में सब-ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत बनाना है। आईपीडीएस के तहत शहरी इलाके में एग्रीगेट ट्रांसफार्मर एंड कमर्शियल लॉस में कमी लाने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे।
सरकार ने वितरण क्षेत्र को आईटी के लिहाज से सक्षम बनाने तथा वितरण नेटवर्क को मजबूत बनाने को भी मंजूरी दी है ताकि पुनर्गठित त्वरित बिजली विकास एवं सुधार कार्यक्रम के तहत तय लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। मौजूदा योजना की अनुमानित लागत कुल मिलाकर 32,612 करोड रुपये है।
मजबूत होगी ग्रामीण इलाकों की आपूर्ति
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक डीडीयूजीजेवाई को लागू करने से ग्रामीण इलाके में बिजली की आपूर्ति में सुधार होगा। पीक लोड में कमी आएगी और ग्रामीण इलाके के घरों को बिजली मिल पाएगी। फैसले के मुताबिक इस परियोजना के तहत तत्काल प्रभाव से काम शुरू कर दिया जाएगा। कैबिनेट कमेटी के फैसले के मुताबिक कृषि व गैर कृषि फीडर को अलग करने के काम और ग्रामीण इलाके में आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत करने में 43,033 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) के अंतर्गत 12वीं व 13वीं योजना के जो काम बचे हुए हैं, उन्हें अब डीडीयूजीजेवाई के तहत पूरा किया जाएगा। आरजीजीवीवाई की शुरुआत कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2005 में की थी।
नॉर्थ- ईस्ट राज्यों में बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए 5200 करोड़ की मंजूरी
केन्द्र सरकार ने पूर्वोत्तर के छह राज्यों में बिजली के पारेषण एवं वितरण नेटवर्क को मजबूत करने के लिए भी 5,200 करोड रुपए की एक योजना को मंजूरी दी है।कैबिनेट ने असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड में अंतर-राज्यीय पारेषण एवं वितरण प्रणाली मजबूत करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना (एनईआरपीएसआईपी) को मंजूरी दी है। इस योजना को 5111.33 करोड रुपए के अनुमानित व्यय के साथ मंजूरी दी गयी है। इसमें 89 करोड रुपए क्षमता विस्तार पर खर्च किए जाएंगे। इस योजना को विश्व बैंक की मदद से पूरा किया जाएगा।