आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नसबंदी का लक्ष्य दिया गया है। वे महिलाओं को बहला-फुसलाकर ला रही हैं। स्वास्थ्य कर्मचारी इन महिलाओं से अमानवीय बर्ताव कर रहे हैं। ठंड में न तो अलाव की व्यवस्था थी, न पीने का पानी था, न ही परिजन के ठहरने का इंतजाम था। परिजन को छोटे-छोटे बच्चों के साथ खुले मैदान में बैठने को कहा गया। जबकि महिलाओं को एक ही कमरे में बैठाया गया।
आशा कार्यकर्ताओं ने लगाए इंजेक्शन
ऑपरेशन से पहले महिला को विशेषज्ञ द्वारा बेहोशी के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। लेकिन यहां आशा और ऊषा कार्यकर्ताओं ने महिलाओं को इंजेक्शन लगाए। बीएमओ डॉ. जेपी यादव का कहना है- शिविर तो दिन में ही लगने वाला था, लेकिन सर्जन को दिन में समय नहीं था, इसलिए रात में ऑपरेशन करने पड़े। हां, कुछ अव्यवस्था रही, आगे से ध्यान रखेंगे।