जनसंख्‍या नियं‍त्रण:केवल नसबंदी, दूसरे विकल्पों पर ध्यान नहीं

रायपुर। देश और प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सबसे जोखिम भरा तरीका महिलाओं की नसबंदी है। बाजार में ऐसे ढेरों साधन हैं, जिनसे महिलाओं के लिए जानलेवा साबित होने वाले इस ऑपरेशन से बचा जा सकता है।

नसबंदी के आंकड़े दिखाने के लिए राज्य सरकार हर साल बड़े पैमाने पर महिलाओं की नसबंदी कर रही है। नसबंदी के ऑपरेशन में महिलाओं की जान जाने का खतरा तो रहता है, साथ ही ऑपरेशन के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। नसबंदी कराने वाली महिलाओं की सामान्य शिकायतें कमर दर्द, पेट में दर्द, बैठने व चलने फिरने में परेशानी, मोटापा आदि समस्याएं आती हैं।

बाजार में उपलब्ध हैं ढेरों उपाय

बाजार गर्भनिरोधक उपायों वाले उत्पादों से भरे पड़े हैं। इनमें से नसबंदी से बचने के लिए सर्वाधिक कारगर 10 साल तक उपयोग में आने वाली कॉपर टी को माना जा रहा है। इसके अलावा गर्भ निरोधक साधन हैं, जिसका उपयोग करने पर नसबंदी कराने की जरूरत नहीं है। सरकार इन उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा नहीं दे रही है।

पुरुष नसबंदी कारगर

महिलाओं के बजाय पुरुषों की नसबंदी को अधिक कारगर और सरल माना जाता है। लेकिन प्रदेश में पुरुष नसबंदी को लेकर फैली भ्रांतियों के कारण यह सफल नहीं हो पा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुरुषों का एक छोटा ऑपरेशन करके महिलाओं को बड़ी मुसीबत में डालने से बचा जा सकता है, लेकिन कमजोरी, नपुंसकता आने जैसी भ्रांतियों के कारण पुरुष इसे अपनाने से बचते हैं।

इनका कहना है

-बढ़ती जनसंख्या को कम करने के लिए गर्भाधान रोकने का सबसे जोखिम भरा तरीका महिलाओं की नसबंदी है। जबकि बाजार में ऐसे ढेरों साधन हैं, जिनसे महिलाओं के लिए जानलेवा साबित होने वाले इस ऑपरेशन से बचा जा सकता है। राज्य सरकार को इन साधनों के बारे में भी विचार करना चाहिए।

-सुलक्षणा गर्ग, संचालिका, जन स्वास्थ्य अभियान

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