नर्मदा को प्रदूषण से बचाने का पहला प्रयोग सफल

जबलपुर। नर्मदा को प्रदूषण से बचाना इतना मुश्किल नहीं, जितना हम सोच रहे। जरा सी मेहनत ने बीते कुछ माह में नर्मदा को प्रदूषण से बचाने वाले नतीजे सामने ला दिए। खंदारी नाले पर तैयार साधारण से दिखने वाले फिल्टर प्लांट (इनसिटू ट्रीटमेंट प्लांट) ने वो कर दिखाया, जिसके बारे में हम सोच नहीं सकते।

फिल्टर प्लांट लगने के बाद प्रदूषण बोर्ड के वैज्ञानिकों को नर्मदा के पानी में प्रदूषण की मात्रा कम मिली है। इसे फिल्टर प्लांट की कामयाबी माना जा रहा है। आने वाले दिनों में दूसरे बड़े नालों पर भी ऐसा प्रयोग करने की तैयारी है। इस काम में सबसे बड़ा योगदान धर्मगुरूओं का रहा, जिन्होंने जनप्रतिनिधियों, श्रद्धालुओं और प्रशासन के साथ मिलकर इस प्लांट को लगाने का बीड़ा उठाया।

इस तरह बदल रही तस्वीर

0- प्रदूषण बोर्ड ने जून और जुलाई में प्लांट से निकलने वाले पानी का नमूना लिया। जांच में पता चला कि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कई गुना बढ़ी है और प्रदूषित कैमिकल भी कम हुए हैं।

0- बीओडी यानी बॉयो कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड से ही पानी में प्रदूषण की जांच की जाती है। यदि आक्सीजन की मात्रा बहुत कम हो जाए तो बीओडी स्तर से ही ये पता चलता है कि प्रदूषण कितना फैल रहा है। जून माह में फिल्टर प्लांट के पहले वाले हिस्से में 26.0 बीओडी दर्ज हुआ, लेकिन प्लांट के बाद वाले पानी में सिर्फ 5 फीसदी मिला।

– इसके बाद सीओडी यानी कैमिकल आक्सीजन डिमांड से नाले के पानी में घातक रसायनों का पता लगाया गया। ये भी आश्चर्यजनक तरीके से बहुत कम मिला। जून माह में सीओडी का स्तर पहले 60.0 प्रतिशत था लेकिन प्लांट के बाद 10 फीसदी कम हुआ। जुलाई में कैमिकल का स्तर 188 था और प्लांट के बाद 40 फीसदी कैमिकल रहा।

– ठोस गंदे पदार्थ और पानी में घुल चुके ठोस की मात्रा भी बहुत कम मिली है। मई माह में 524.0 पानी में घुल चुकी ठोस गंदगी रही, जो प्लांट के बाद 283 रह गई।

अब तीन नालों पर लगेंगे प्लांट

खंदारी नाले के अलावा नर्मदा नदी में शहर के तीन बड़े नालों का दूषित पानी सहायक नदियों के जरिए जा रहा है। ओमती नाला, मोती नाला और शाहनाला जैसे छोटे-बड़े नालों पर फिल्टर प्लांट लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रदूषण बोर्ड के चैयरमेन ने इस बारे में दिशा निर्देश भी जारी किए हैं।

आसान तरीका, कम लागत

– इनसिटू ट्रीटमेंट सिस्टम की लागत 15 से 18 लाख रुपए

– नाले के तीन हिस्सों में 10-10 मीटर की दूरी पर फिल्टर जाल का उपयोग किया

– पहले वाला जाल पानी की सतह से 1 मीटर ऊंचाई पर और इसके बाद 10 मीटर बाद। दूसरा जाल इससे कम 0.75 मीटर ऊंचाई पर और आखिरी 10 मीटर पर ये जाल 0.5 मीटर ही रखा गया

– सभी जालों के बीच में पत्थरों, गिट्टी, बोल्डर के अलावा ईंट सहित बड़ी मात्रा में रेत डाली गई

नर्मदा में मिल रहा इतना गंदा पानी

– प्रतिदिन -120 मिलियन लीटर

– खंदारी नाले से- 30 मिलियन लीटर

तीन साल से नर्मदा कोशुद्ध करने का प्रयास शुरू किया, जो अब प्रदूषण बोर्ड व सभी के सहयोग से सफल होता दिख रहा है। प्रदूषण बोर्ड चेयरमैन ने दूसरे नालों पर भी इस तरह के प्लांट लगाने की बात कही है। ये बहुत अच्छे संकेत हैं कि लोग खुद आगे आकर नर्मदा शुद्धिकरण के काम से जुड़ने लगे हैं।

-गिरीशानंद महाराज, शुद्धिकरण अभियान संचालनकर्ता

प्लांट के बाद पानी की जांच में प्रदूषण का स्तर बहुत कम पाया गया है। ये प्राकृतिक तरीके से पानी को शुद्ध करने का तरीका है। दूसरे नालों में भी इस तरह के प्लांट लगाए जा सकते हैं।

-एसके खरे, वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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