गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और बैंकों में विनिवेश की संभावनाओं का संकेत दिया था. सरकार का ये कदम उसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाने से हम बैंकों में लगभग तीन लाख करोड़ रुपए की पूंजी बैंकों में डाल सकेंगे. इससे बैंकों के पास वित्तीय समावेश के लिए अधिक संसाधन हो जायेंगे. गौरतलब है कि यूपीए सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 58 फीसद पर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
कांग्रेस ने सरकार के इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है.