नई नीति के तहत अब सिर्फ राजपत्र में नोटिफाइड एरिया पर ही आवेदन पत्र लिए जा सकेंगे ताकि सभी को आवेदन करने के समान अवसर मिल सकें। अब तक बिना नोटिफाइड एरिया के आवेदन राज्य सरकारें ‘पहले आओ पहले पाओ" की नीति के तहत केंद्र सरकार को भेज देती थीं। कोल ब्लॉक और खदान घोटालों के सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने वरिष्ठता को नजरंदाज करने पर भी पाबंदी लगा दी।
क्या था मामला
खदान आवंटन में गड़बड़ियों को लेकर कैग ने राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित किया था और कहा था कि आवंटन के नियम संविधान की भावना के विपरीत हैं, जिसमें चंद लोगों को ही फायदा पहुंचाया जा रहा है। राष्ट्रपति ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के जिन मामलों में आक्शन या नीलामी की व्यवस्था नहीं है उनमें संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी को समान अवसर मिलना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि अधिनियम में बदलाव लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले जिन खदानों के लिए आवेदन पत्र मंगवाना है उन्हें नोटिफाई किया जाए। उसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए, उसके बाद ही आवेदन पत्र जमा कराए जाएं।
क्या था गड़बड़ी का कारण
एमएमआरडी एक्ट की धारा 12 (5) में उल्लेख है कि राज्य सरकार चाहे तो वरिष्ठता को उचित कारण बताकर नजरंदाज कर सकती है। इस धारा का बेहद दुरुपयोग किया गया। दुरुपयोग के चलते ही भारत सरकार ने राज्यों को सुस्पष्ट नीति बनाने के लिए कहा था।
नए अधिनियम पर भी विचार
केंद्र की यूपीए सरकार ने भी पहले खनिज आवंटन के नए अधिनियम बनाने का विचार किया था। उसका प्रारूप भी बना लिया गया था, लेकिन संसद में उसे नहीं लाया गया। फिलहाल मोदी सरकार के पास राज्य सभा में पर्याप्त बहुमत नहीं है जिसके चलते अभी सिर्फ नियमों में बदलाव किया गया है।
खोज प्रभावित होगी
इधर विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों में हुए इस बदलाव से नए खनिजों क्षेत्रों के अनुसंधान का काम प्रभावित होगा। अब प्रायवेट सेक्टर नए क्षेत्र खोजने से बचेगा । कारण ये हैे कि एरिया नोटिफायड होने के बाद क्षेत्र सार्वजनिक हो जाएगा, जिसका फायदा सभी को मिलेगा।
ये भी हैं नए प्रावधान
– अब एक चेकलिस्ट केंद्र सरकार को भेजना होगी, जिसमें आवेदक के बारे में विस्तार से जानकारी देना होगा।
– राज्य सरकार को अब आवेदन पत्रों पर समयसीमा में सुनवाई करना होगी, वरना विलंब का कारण बताना होगा!
इनकी सुनें…
खनिज आवंटन में राज्यों की कार्रवाई निष्पक्ष, भेदभाव रहित हो, भाई-भतीजावाद से मुक्त हो। ऐसे प्रयास केंद्र सरकार ने किए हैं। सभी को समान अवसर मिलें, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा निर्मित हो, इस उद्देश्य सेएक्ट में कुछ बदलाव किया गया है। इससे पारदर्शिता आएगी।
-नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री खान एवं इस्पात मंत्रालय