बिलासपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध रायगढ़ जिले में 31 कॉलेज हैं। यहां किसी भी कॉलेज में अंग्रेजी विषय में मास्टर डिग्री की पढ़ाई नहीं होती। इस वजह से हर साल कई छात्र स्नातकोत्तर की पढ़ाई से भी वंचित रह जाते हैं। वहीं इसी विषय से पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को रायगढ़ से बिलासपुर तक का सफर करना पड़ता है। यह हर साल की समस्या है।
प्रोजेक्ट वर्क का बहाना
रायगढ़ जिले में एकमात्र शासकीय किरोड़ीमल महाविद्यालय में अंग्रेजी में एमए की सुविधा है। लेकिन ऑटोनामस कॉलेज होने के कारण केवल नियमित छात्रों को ही यह सुविधा मिलती है। जबकि प्राइवेट परीक्षार्थियों के लिए कोई भी कॉलेज नहीं है। अन्य कॉलेजों का कहना है कि प्रवेश देने में प्रोजेक्ट वर्क बड़ी समस्या है। विषय विशेषज्ञ नहीं मिलने के कारण फार्म नहीं लिए जा सकते।
फार्म नहीं मिलने से बढ़ी परेशानी
रायगढ़ से शहर पहुंचे कई छात्रों को अब तक प्राइवेट परीक्षा के फार्म उपलब्ध नहीं हुए हैं। लगभग सभी कॉलेजों में फार्म बिक चुके हैं। जिन कॉलेजों ने फार्म दिया है।, वहां प्रोजेक्ट वर्क की समस्या है। रायगढ़ से पहुंचे छात्र अनिमेश रावत का कहना है कि उन्हें कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय से फार्म तो मिल गया है लेकिन प्रोजेक्ट वर्क के बारे में नहीं बताया गया है। इसी तरह खरसिया से पहुंचीं छात्रा आरती यादव का कहना था कि यहां अंग्रेजी में मास्टर डिग्री की पढ़ाई ना होने के कारण उन्हें बिलासपुर आना पड़ा है। यहां भी परीक्षा फार्म नहीं मिल पाया।
इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। डाटा देखने के बाद बता सकूंगा। पाठ्यक्रम को लेकर कॉलेजों की अपनी व्यवस्था होती है। पर्याप्त संसाधन व सुविधा के अभाव में उन्हें भी दिक्कत होती है।
डॉ. अरुण सिंह
कुलसचिव, बिलासपुर विश्वविद्यालय