रोपा पद्धति से बोई थी फसल
गडर पिपरिया के किसान नरेन्द्र पटेल ने बताया कि उन्होंने 80 एकड़ खेत में रोपा पद्धति से धान की हाइब्रिड किस्म 6444 लगाई थी। इतने बड़े रकबे में छोटी-छोटी मेढ़ बनाकर फसल रोपी गई थी। फसल को बीमारियों से बचाने और अधिक पैदावार के लिए कृषि अधिकारियों की सलाह पर समय-समय पर खाद और कीटनाशक का छिड़काव किया गया था।
आरआई, पटवारी ने निकाला औसत
शहपुरा क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी रजनीश दुबे, आरएम मिश्रा और किसान श्री पटैल के मुताबिक आरआई, पटवारी की मौजूदगी में पांच वर्ग फीट रकबे में लगी फसल को काटी गई तो उसमें 36 किलो 980 ग्राम धान निकली। इस आधार पर धान की औसतन पैदावार प्रति हेक्टेयर 120 क्विंटल और एक एकड़ में लगभग 50 क्विंटल आ रही है। पिछले साल इसी खेत से धान की औसत पैदावार 32 क्विंटल प्रति एकड़ हुई थी।
केन्द्रीय टीम ने लिया था जायजा
पिछले माह अक्टूबर में जिले में दलहनी फसलों की स्थिति का जायजा लेने भोपाल से केन्द्र सरकार के दलहन निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. एके तिवारी अपनी टीम के साथ सहजपुर क्षेत्र में पहुंचे थे। उन्होंने धान की फसल का जायजा भी लिया था। इस दौरान टीम ने भी धान की पैदावार का अनुमान 50 क्विंटल प्रति हेक्टयर लगाया था।
अभी तक धान की औसतन पैदावार 110 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देखी गई है। अगर किसान ने अच्छी किस्म का हाइब्रिड बीज का उपयोग किया है तो फसल की अच्छी पैदावार मिल सकती है। वैसे, अलग-अलग प्लाटों में लगी फसल को निकालने के बाद ही औसत पैदावार का पता लग सकेगा।
प्रो. वीके कोतू, इंचार्ज हाइब्रिड राइस, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय