ऐसी स्थिति में यदि सरगुजा में हर बार की तरह किसानों ने रिकार्ड तोड़ धान उत्पादन किया तो सरकार का निर्णय उन पर भारी पड़ सकता है। अधिकांश किसानों ने हाइब्रिड किस्म के धान लगाए हैं जिनका उत्पादन प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल होता है। ऐसे में बम्पर उत्पादन कर किसान आधा धान ही बेच सकेंगे और आधा धान बिचौलिए या सेठ साहूकारों को देना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से राज्य शासन ने लगातार समर्थन मूल्य पर रिकार्ड तोड़ धान खरीदता था। किसान जितना भी पैदावार करते थे उसे बेचने में दिक्कतें नहीं आती थी किंतु राज्य सरकार की माली हालत बिगड़ने के बाद किसानों पर इसकी गाज इस वर्ष गिर रही है।
राज्य सरकार ने इसबार प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान ही किसानों से खरीदने का निर्णय लिया है जिसका पूरे प्रदेश में कांग्रेस व विभिन्न किसान संगठनों द्वारा जमकर विरोध भी किया जा रहा है। प्रति एकड़ 10 क्विंटल ही धान खरीदने के निर्णय ने सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के साथ विभिन्न किसान संगठनों का विरोध भी अब धरातल पर जायज लगने लगा है क्योंकि सरगुजा जिले के ग्रामीण इलाके में कम बारिश के बावजूद जिस तरह धान की फसल लहलहा रही है और अधिकांश धान पक चुके हैं उनकी बालियां देख महसूस किया जा रहा है कि इसबार भी सरगुजा में धान का बंपर उत्पादन होने वाला है।
कृषि विभाग के मैदानी कर्मचारियों की भी मानें तो कम बारिश के बावजूद धान उत्पादन में कोई कमी नहीं आने वाली है। विपरीत मौसम के बाद भी रोग, कीट, व्याधियां धान में नहीं लगी है। मोटा और पतला धान दोनों अच्छे उत्पादन की ओर अग्रसर हैं। शहर से निकलते ही ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में लहलहा रही धान को देख किसान भारी उत्साहित हैं पर समर्थन मूल्य पर उन्हें 10 क्विंटल से अधिक धान प्रति एकड़ बेचने की अनुमति नहीं मिलेगी, जबकि शत-प्रतिशत किसानों ने हाइब्रिड धान की खेती की है जो प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल उत्पादन विपरीत मौसम में भी देता है।
ऐसे में आधे से अधिक धान घरों में रखना किसानों के लिए मुश्किल होगा। सरकार ने जरूर बिचौलियों से बचाने प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीदने के नियम लागू किए जाने का दावा किया है पर इस बार बम्पर उत्पादन हुआ तो किसानों को बिचौलियों और साहूकारों को ही अपनी मेहनत की कमाई बेचनी पड़ जाएगी।
उधर इसबार धान बेचने सहकारी समितियों में किसानों को पेचीदगीपूर्ण पंजीयन कराने की बाध्यता ने भी खासा परेशान किया है। सितंबर माह से पंजीयन का काम शुरू हुआ है पर सरगुजा सहित सूरजपुर और बलरामपुर जिले में निर्धारित 31 अक्टूबर तक 39 हजार किसानों ने ही धान का पंजीयन कराया था।पंजीयन की गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार को पंजीयन की तिथि भी बढ़ानी पड़ी।
अब 15 नवंबर तक किसान पंजीयन करा सकते हैं। एक दिसंबर से धान की खरीदी शुरू होगी जो 31 दिसंबर तक जारी रहेगी। 15 दिन यानि 15 फरवरी तक ऋणी किसानों के धान लिंकिंग के माध्यम से खरीदे जाएंगे। महज एक माह की अवधि में धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया होनी है यह भी किसानों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं होगी।
एक लाख 12 हजार हेक्टेयर में धान की फसल-
वर्तमान सरगुजा जिले में एक लाख 12 हजार हेक्टेयर में धान की फसल किसानों ने ली है। विपरीत मौसम के बाद भी धान के उत्पादन में ज्यादा फर्क नजर नहीं आ रहा है। हालांकि यदि कटाई, मिसाई के बाद ही उत्पादन का आकलन किया जा सकता है किंतु खेतों में लहलहा रही धान से पूरी उम्मीद है कि सरगुजा में बंपर उत्पादन को रोका नहीं जा सकता। कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी धान की बेहतर स्थिति को देख यह कहने मजबूर हो गए हैं कि विपरीत मौसम के बाद भी अच्छी पैदावार होगी।
इनका कहना है
धान कटाई से पहले उत्पादन का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। यह जरूर है कि लेट-लतीफ धान की रोपाई होने के बाद भी इस बार फसल में कीट व्याधियों का प्रकोप नहीं है। अच्छे उत्पादन की उम्मीद निश्चित रूप से है। यह कृषि विभाग की सफलता के साथ किसानों की मेहनत का नतीजा है। धान कटाई, मिसाई के बाद ही उत्पादन का आकलन किया जा सकता है, पहले कुछ भी कहना उचित नहीं।
एसपी वीरा कृषि उपसंचालक, सरगुजा