हीरा ग्रुप का प्लांट पिछले दो महीने से बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। हीरा ग्रुप के बजरंग अग्रवाल ने बताया कि उद्योगों के लिए कोयला नहीं मिल रहा है। साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड (एसईसीएल) ने स्टील इंडस्ट्रीज को पूरी तरह कोयले की सप्लाई बंद कर दी है। यहां से पूरा कोयला पॉवर प्लांट को सप्लाई हो रहा है। छत्तीसगढ़ के कारोबारियों को हर महीने 140 रैक कोयले की आपूर्ति होना चाहिए, लेकिन रेलवे रैक उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। श्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार को चाहिए कि एसईसीएल की खदानों से निकल रहे कोयले को छत्तीसगढ़ के उद्योगों को उपलब्ध कराया जाए। साथ ही रेलवे से भी कोयला सप्लाई के लिए रैक उपलब्ध कराने के मुद्दे पर सरकार को चर्चा करनी चाहिए।
मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अशोक सुराना ने बताया कि अधिकांश छोटे उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। छोटी फैक्ट्रियों में कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। कोयला सप्लाई नहीं होने के कारण कारोबारियों में भय का माहौल है। प्रदेश में नए प्रोजेक्ट लगाने वाले कारोबारियों ने हाथ खींच लिया है। जो प्लांट चल रहे हैं, वह भी आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। देश में कोयले को लेकर कांग्रेस की यूपीए सरकार और मोदी सरकार में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है।
इन सेक्टर पर पड़ा असर
पॉवर प्लांट, सीमेंट फैक्ट्री, रोलिंग मिल, मिनी स्टील प्लांट और फर्टिलाइजर कंपनी
टैक्स पर सीधा असर
कारोबारियों की मानें तो कोयला संकट का सीधा असर टैक्स पर पड़ेगा। कारोबार कमजोर होने के कारण वाणिज्य कर, आबकारी कर और इनकम टैक्स कम जमा होगा, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
विदेशी कोयले पर उद्योग निर्भर
कोयले की खदानों से खनन के लिए मार्च तक की छूट दी गई है। लेकिन अब कारोबारी विदेशी कोयले पर निर्भर हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में इंडोनेशिया, बैंकाक और आस्ट्रेलिया से कोयला मंगाया जा रहा है। हालांकि इन कोयलों की गुणवत्ता बेहतर है, लेकिन आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा है।