धान की गिरती कीमतों के मुद्दे पर खुद घिरी कांग्रेस

चंडीगढ़. धान की गिरती हुई कीमतों के मुद्दे पर मंगलवार को सदन में सरकार के घेरने के बजाय कांग्रेस खुद घिर गई। पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई बहस में किसानों के नाम पर इस मुद्दे को उठाया। चर्चा के दौरान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी तैश में आए और चावल के निर्यात पर रोक लगी होने जैसा बयान नहीं देने का दावा करते हुए उन्होंने सदन इस्तीफा देने तक की घोषणा कर दी। उनकी इस घोषणा से एकबारगी तो कृषि मंत्री ओपी धनखड़ सहम गए, लेकिन जब मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने एक अखबार में छपी खबर के हवाले से स्थिति स्पष्ट की तो सत्तापक्ष के सदस्यों को भी जोश आ गया।

हुआ यह कि पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने कहा कि अभिभाषण में किसानों का जिक्र तक नहीं किया गया है। धान और कपास की वजह से प्रदेश का किसान परेशान है। केंद्र की नीतियों की वजह से उसे धान का पैसा नहीं मिल रहा है। इस पर कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने कहा कि अभिभाषण में डेढ़ पेज किसान और कृषि पर है। जहां तक धान के कम दाम की बात है तो तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने निर्यात पर रोक लगने जैसा गलत बयान देकर लोगों को भ्रमित किया जिससे भाव कम हुए। इस पर हुड्डा खड़े हो गए और उन्होंने दावा किया कि इस तरह का कोई बयान उन्होंने नहीं दिया बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था कि चावल का खाड़ी देशों में निर्यात कम हुआ है, इसे बढ़ाया जाना चाहिए।

चावल निर्यात में आ रही सारी बाधाएं दूरी की जाएंगी
सीएम खट्टर ने अपने जवाब में कहा कि सरकारें बदलती रहती हैं और चलती रहती हैं। परंतु कौन सी बात कब कहनी चाहिए यह ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सीएम ने उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो पत्र लिखा उसकी भाषा ऐसी थी, जिससे लोग भ्रमित हों। उसमें लिखा गया कि चावल के निर्यात में कमी आई है, लेकिन अखबार में छपी खबर से ऐसा संदेश गया जैसे चावल का निर्यात ही रोक दिया गया है, जबकि निर्यात पर कोई रोक नहीं थी। इस प्रकार के गलत गलत मैसेज से एक अफवाह बनी और किसानों को नुकसान हुआ। हाल ही जब हमारे कृषि मंत्री ने मंडियों का दौरा करके वास्तविकता बताई तो रेट 500 रुपए तक बढ़ गए। क्या यह दाम कम करने की मंशा नहीं लगती। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री सीता रमन से बात की है, चावल निर्यात में आ रही बाधाओं को जल्दी ही दूर किया जाएगा।

विधानसभा की समितियों में इस बार टूटेगी परंपरा
विधानसभा की समितियां बनाने में इस बार परंपराएं बदली जाएंगी। आम तौर पर समितियों में विधानसभा स्पीकर ही विधायकों को सदस्य मनोनीत करते थे, लेकिन इस बार राजनीतिक दलों से नाम मांगे जाएंगे। स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने मंगलवार को सदन में यह व्यवस्था उस समय दी, जब पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने प्रस्ताव रखा कि समितियों में वरिष्ठ और अनुभवी सदस्यों को महत्व मिले। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और इनेलो नेता अभय चौटाला ने इसप्रस्ताव पर कहा कि कुलदीप शर्मा के कार्यकाल में कभी इस तरह से नाम नहीं मांगे गए और उन्हें तब यह बात ध्यान क्यों नहीं आई। इस पर स्पीकर कंवरपाल ने कहा कि वे इस बार परंपराएं बदलेंगे। इसके साथ ही सदन ने स्पीकर को विभिन्न दलों की आनुपातिक संख्या के आधार पर समितियों का गठन करने के लिए अधिकृत कर दिया।

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