एमएसपी में बढ़ोतरी लगातार घट रही है। सरकार ने 2011-12 में 9.8 फीसदी, 2012-13 में 5.1 और 2013-14 में 3.7 फीसदी एमएसपी को बढ़ाया है।
मानसून पर निर्भर खरीफ फसलों से कहीं बेहतर है रबी सीजन में अनाज का उत्पादन होता है। 2013-14 में खरीफ फसलों का उत्पादन 12.9 करोड़ टन होने का अनुमान है जो कि 13.5 करोड़ रबी उत्पादन से कम है।
सीएसीपी के रिपोर्ट के अनुसार बफर स्टॉक नियम के तहत सेंट्रल पूल में 3.19 करोड़ टन अनाज होना चाहिए लेकिन 1 जुलाई 2014 को दोगुना 6.53 करोड़ टन (चावल 2.55 करोड़ टन और 3.98 करोड़ टन ) रहा। इसकी वजह से करीब 45,640 करोड़ रुपए ब्लॉक हो गया है। यह यहां ध्यान दिया जाना करने की जरूरत है कि भारतीय खाद्य निगम की आर्थिक लागत करीब 32-43 फीसदी गेहूं के एसएसपी से ज्यादा है।
जिसके कारण फूड सब्सिडी बिल का खर्चा बढ़ रहा है। 2014-15 के लिए बजट में 1.15 खरब रुपए आवंटित हुआ है।
देश में फसलों का उत्पादन मांग से लेल नहीं खाता है। घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों के मांग को पूरा करने के लिए बढ़ी मात्रा में आयात करते है। इसके विपरीत, गेहूं और चावल का बम्पर उत्पादन हो रहा है इसलिए दालों और तिलहन के उत्पादन को तत्काल बढ़ाने की आवश्यकता है।
किसान बढ़े हुए एमएसपी से खुश नहीं है। खाद्ध, डीजल और लेबर पिछले साल के मुकाबले ज्यादा महंगा हो गया है जिसको 50 रुपए बढ़ोतरी से कवर किया जा सकता है।
रबी तिलहन के एमएसपी में मामूली 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और दलहन के एमएसपी में 2.4-4.2 फीसदी का इजाफा किया गया है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के मुताबिक राज्यों ने 1450 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा की मांग की थी।
मध्य प्रदेश ने 26,00 रुपए, पंजाब ने 1900 रुपए वहीं आंध्र प्रदेश सरकार ने 3612 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय करने की मांग की थी। सीएसीपी की गणित के अनुसार तय एमएसपी किसानों को लागत से 21.7 फीसदी ज्यादा है। अनुमानित लागत 1191 रुपए प्रति क्विंटल है। एनडीए ने अपने चुनवी घोषणा पत्र में कम से कम 50 फीसदी लागत से ज्यादा कीमत देने का वादा किया था।