श्रमदान से बदल रही दंतेवाड़ा क्षेत्र के बिंजाम गांव की तस्वीर

पिनाकी रंजन दास, दंतेवाड़ा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ने का आह्वान किया था। पीएम के इस आह्वान के बाद स्वच्छता मिशन को लेकर हर तबका जागरूक नजर आ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री के इस मिशन से बिंजाम गांव की कहानी थोड़ी हटकर है। जिला मुख्यालय से लगभग पांच किमी दूर प्राचीन शिव मंदिर के लिए चर्चित समलूर के समीप बसा बिंजाम गांव एक मिसाल है स्वच्छता अभियान को लेकर यहां दो साल पहले लोग आगे आ चुके है। यहां गांव को साफ-सुथरा रखने का जिम्मा पंचायत पर नहीं बल्कि ग्रामीणों ने स्वयं बीड़ा उठाया है। श्रमदान से गांव की तस्वीर बदलने की कोशिश में इस मुहिम की शुरुआत दो साल पहले हुई थी।

सर्वप्रथम प्रज्ञा नामक मंडली का गठन कर ग्रामीण आपस में संगठित हुए। तत्पश्चात्‌ गांव की सफाई के साथ खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत शुरू की। पिछले दो वर्षों से बिंजाम के ग्रामीण प्रत्येक गुरूवार को नियमित रूप से श्रमदान करते आ रहे हैं।

मुहिम को शुरू करने वाले सरपंच महादेव नेताम बताते है कि अभियान के पहले चरण में गांव में लगे हैण्डपंपों के आस-पास की सफाई की गई थी। पानी का जमाव रोकने के लिए निकासी तैयारी की गई थी। अगले चरण में मोहल्ले में सड़क किनारे जंगली झाड़ियों, कूड़ा-करकट की सफाई की गई थी। गांव की सड़कें चूंकि कच्ची है। बरसात में आवागमन में परेशानी होती है। इसके मद्देनजर सफाई के साथ सड़कों को दुरुस्त करना आरंभ किया।

महादेव के मुताबिक शुरुआती दौर में कुछ पुरुष आगे आए थे, लेकि न गत वर्षों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी भी सराहने योग्य है।

प्री प्लान के मुताबिक काम

सरपंच के अनुसार अभियान को योजनाबद्घ सुचारू रखा गया है। मंडली की बैठक में यह तय किया जाता है कि अगले सप्ताह किसी मोहल्ले में क्या काम करना है। सहमति बन जाने पर गुरुवार को उसी मोहल्ले में ग्रामीण एकत्रित होकर श्रमदान करते हैं।

आत्मसंतोष होता है

इसे पुनीत कार्य मानते है गांव के हरसिंह ओयाम। उनकी मानें तो गांव अपना और गांव वाले परिवार जैसे। ऐसे में गांव को साफ रखने की मुहिम में अपना योगदान देने पर उन्हें आत्मसंतोष होता है।

होगा गांव का विकास

मुहिम में अपना योगदान दे रही राजोबाई कहती है कि इससे गांव का विकास हो रहा है। अगर सरकारी प्रयास हो तो शायद गांव की तस्वीर बदलने में काफी वक्त लगेगा, इसलिए अपने विकास के लिए आगे आना जरूरी है।

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